बेथलहम (अरबी: بَيْتِ لَحْمٍ, Bayt Laḥm सहायता·सूचना, प्रकाशित “हाउस ऑफ मीट (House of Meat)"; हिब्रू: בֵּית לֶחֶם, बीट लेहम (Beit Lehem), प्रकाशित "हाउस ऑफ ब्रेड (House of Bread);" यूनानी : Βηθλεέμ बेथलीम (Bethleém)) मध्य वेस्ट-बैंक में, येरुशलम से लगभग 10 किलोमीटर (6 मील) दक्षिण में स्थित एक फिलिस्तीनी शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 30,000 है। यह फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण (Palestinian National Authority) के बेथलहम शासकीय-क्षेत्र (Bethlehem Governorate) की राजधानी और फिलिस्तीनी संस्कृति व पर्यटन का केंद्र है। हिब्रू बाइबिल में बीट लेहम (Beit Lehem) की पहचान डेविड के शहर के रूप में और स्थान के रूप में की गई है, जहां इसराइल के राजा के रूप में उसका राज्याभिषेक किया गया था। मैथ्यू (Matthew) व ल्यूक (Luke) द्वारा नए करार पर दिये गये धर्मोपदेशों में बेथलहम को नाज़ारेथ के ईसा (Jesus of Nazareth) का जन्मस्थान बताया गया है। विश्व के सबसे प्राचीन ईसाई समुदायों में से एक इस शहर में निवास करता है, हालांकि उत्प्रवास के कारण इस समुदाय का आकार सिकुड़ गया है।
सन 529 ईस्वी में समारियाई लोगों द्वारा, उनके विद्रोह के दौरान, इस शहर में लूट-पाट की गई थी, लेकिन यूनानी शासक जस्टिनियन प्रथम द्वारा इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। सन 637 ईस्वी में ‘उमर इब्न-अल-खताब की अरब खलीफाई ने बेथलहम पर विजय प्राप्त की और उसने इस शहर के धार्मिक तीर्थ-स्थलों की सुरक्षा का आश्वासन दिया. सन 1099 में, धर्म-योद्धाओं ने बेथलहम पर कब्ज़ा करके इसकी किले-बंदी कर दी और इसके ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पादरी के स्थान पर एक लैटिन पादरी नियुक्त कर दिया. मिस्र व सीरिया के सुल्तान सलादिन द्वारा इस शहर पर कब्ज़ा किये जाने पर इन लैटिन पादरियों को निष्कासित कर दिया गया। सन 1250 ईस्वी में मामलुकों के आगमन के साथ ही इस शहर की दीवारें ढहा दीं गईं और बाद में ऑटोमन राजवंश के शासन के दौरान उन्हें फिर से बनाया गया।
प्रथम विश्व-युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने ऑटोमन से इस शहर का नियंत्रण छीन लिया और 1947 में फिलीस्तीन के लिये बनी संयुक्त राष्ट्र संघ की विभाजन योजना (United Nations Partition Plan for Palestine) के तहत इसे एक अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल किया जाना था। सन 1948 के अरब-इसराइल युद्ध में जॉर्डन ने इस शहर पर अधिकार कर लिया। सन 1967 के छः दिवसीय युद्ध में इसराइल ने इस पर कब्जा कर लिया। सन 1995 से, बेथलहम पर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण (Palestinian National Authority) का नियंत्रण है।
बेथलहम में मुस्लिम बहुमत है, लेकिन यह सबसे बड़े फिलिस्तीनी ईसाई समुदायों में से एक का घर भी है। बेथलहम संकुलन में बीट जाला (Beit Jala) और बीट सहौर (Beit Sahour) व साथ ही 'ऐदा ('Aida) एवं अज़्ज़ा (Azza) के शरणार्थी शिविर भी शामिल हैं। बेथलहम का मुख्य आर्थिक भाग पर्यटन है, जो क्रिसमस के मौसम में अपने शिखर पर होता है, जब ईसा के जन्मस्थान के चर्च (Church of the Nativity) में ईसाई तीर्थयात्रियों की भीड़ लग जाती है। बेथलहम में तीस से अधिक होटल व तीन सौ हस्तकला के कारखाने हैं। रैशेल की समाधि, एक महत्वपूर्ण यहूदी पवित्र स्थल, बेथलहम के प्रवेश द्वार पर स्थित है।
इस शहर का पहला ऐतिहासिक उल्लेख आमर्ना पत्रों (Amarna Letters) (सी. 1400 ईसा पूर्व) में मिलता है, जब अपिरु (Apiru) द्वारा उत्पन्न व्यवधानों को देखते हुए येरुशलम का राजा अपने प्रभु, मिस्र के राजा, से “बित-लाहमी (Bit-Lahmi) ” को पुनः प्राप्त करने के लिये सहायता प्रदान करने की अपील करता है। चूंकि उस समय तक यहूदी व अरब लोगों का आगमन इस क्षेत्र में नहीं हुआ था, अतः ऐसा माना जाता है कि इसके आधुनिक रूपों के साथ इस नाम की समानता यह सूचित करती है कि यह कैनेनाइट (Canaanites) लोगों का एक उपनिवेश रहा होगा, जो बाद में आने वाले समुदायों के साथ एक सामी सांस्कृतिक और भाषाई परंपरा को साझा करते हैं।
संभव है कि जुडाह के “पहाड़ी देश” में स्थित बेथलहम, बाइबिल में लिखित एफ्राथ (Ephrath), जिसका अर्थ है “उपजाऊ”, ही हो क्योंकि मिकाह की पुस्तक (Book of Micah) में इसका एक उल्लेख बेथलहम एफ्राथ के रूप में भी मिलता है। इसे बेथ-लेहम जुडाह और “डेविड का एक शहर” के रूप में भी जाना जाता है। इसका पहला उल्लेख तनाख और बाइबिल में ऐसे स्थान के रूप में हुआ है, जहां अब्राहमिक कुलमाता रैशेल की मृत्यु हुई और उन्हें “सड़क के किनारे” दफनाया गया (जेन. 48:7). रैशेल की समाधि, पारंपरिक कब्रिस्तान, बेथलहम के प्रवेश-द्वार पर स्थित है। रुथ की पुस्तक (Book of Ruth) के अनुसार, पूर्व दिशा में स्थित घाटी में ही मोआब के रुथ (Ruth of Moab) ने खेतों को बीना था और नाओमी के साथ वे इस शहर में लौटे थे। बेथलहम डेविड, इसरायल के द्वितीय राजा, का पारंपरिक जन्मस्थान और वह स्थान है, जहां सैम्युअल द्वारा उनका राजतिलक किया गया था। जब वे अदुलाम की गुफा में छिपे हुए थे, तब बेथलहम की दीवार से ही इन तीन योद्धाओं ने उन्हें जल लाकर दिया था।
बार कोखबा विद्रोह में इस पर कब्जा करने के बाद 132–135 ईस्वी के दौरान रोमन लोग इस शहर में बस गए। हैड्रियन के सैन्य आदेशों द्वारा इसके यहूदी निवासियों को निष्कासित कर दिया गया। बेथलहम पर शासन करने के दौरान रोमन लोगों ने ईसा के जन्मस्थान पर पौराणिक ग्रीक संप्रदाय के व्यक्तित्व एडोनिस के एक तीर्थस्थल का निर्माण किया। सन 326 ईस्वी में जब प्रथम यूनानी शासक कॉन्स्टन्टाइन की मां हेलेना ने बेथलहम की यात्रा की, तो एक चर्च का निर्माण किया गया।
सन 529 ईस्वी के समारियाई विद्रोह के दौरान, बेथलहम में लूट-पाट की गई और इसकी दीवारों तथा ईसा के जन्मस्थान के चर्च (Church of the Nativity) को नष्ट कर दिया गया, लेकिन राजा जस्टिनियन प्रथम के आदेश पर जल्द ही इसका पुनर्निर्माण हुआ। सन 614 ईस्वी में, फारसी सैसेनिड राज्य ने फिलिस्तीन पर आक्रमण किया और बेथलहम पर कब्ज़ा कर लिया। बाद के स्रोतों में वर्णित एक कथा के अनुसार एक पच्चीकारी में फारसी वस्रों में चित्रित एक जादूगर को देखकर उन्होंने इस चर्च को नहीं तोड़ा.
नया करार (New Testament) में दो स्थानों पर इस बाद का वर्णन है कि ईसा का जन्म बेथलहम में हुआ था। ल्युक के धर्मोपदेश (Gospel of Luke) के अनुसार, ईसा के माता-पिता नाज़ारेथ में निवास करते थे, लेकिन वे 6 ईस्वी की जनगणना के लिये बेथलहम आए थे और उनके परिवार के नाज़ारेथ लौटने से पूर्व वहीं ईसा का जन्म हुआ था।
मैथ्यू के धर्मोपदेश (Gospel of Matthew) में दिये गये वर्णन के अनुसार जब ईसा का जन्म हुआ, तो यह परिवार पहले से ही बेथलहम में रह रहा था और बाद में वे लोग नाज़ारेथ चले गए। मैथ्यू के अनुसार, हेरोड महान (Herod the Great) ने बताया कि बेथलहम में ‘यहूदियों के एक राजा’ का जन्म हो चुका था और उसने उस नगर में और उसके आस-पास के स्थानों में रहने वाले दो वर्ष और उससे कम आयु के सभी बच्चों को मार डालने की आज्ञा दी. ईसा के लौकिक पिता जोसेफ को एक स्वप्न में इस बात की चेतावनी दी गई और उनका परिवार इस दुर्भाग्य से बचने के लिये मिस्र की ओर पलायन कर गया तथा वे लोग हेरोड की मृत्यु के बात ही वापस लौटे. परंतु, एक अन्य स्वप्न में जुडिया न लौटने की चेतावनी दिये जाने के कारण जोसेफ अपने परिवार को गैलिली में ही छोड़ देते हैं और नाज़ारेथ जाकर रहने लगते हैं।
प्रारंभिक ईसाइयों ने मिकाह की पुस्तक (Book of Micah) में लिखी एक पंक्ति की व्याख्या बेथलहम में एक मसीहा के जन्म की भविष्यवाणी के रूप में की. अनेक आधुनिक विद्वान इस बात पर प्रश्न उठाते हैं कि क्या सचमुच ईसा का जन्म बेथलहम में हुआ था और उनका सुझाव है कि ईसा के जन्म को प्रस्तुत करने के लिये धर्मोपदेशों में विभिन्न उल्लेखों का आविष्कार भविष्यवाणी को सच साबित करने और राजा डेविड की वंशावली से उनका संबंध सूचित करने के लिये किया गया। मार्क के धर्मोपदेश (Gospel of Mark) और जॉन के धर्मोपदेश (Gospel of John) में ईसा के जन्म का वर्णन या इस बात का कोई संकेत भी शामिल नहीं है कि ईसा का जन्म बेथलहम में हुआ था और वे उनका उल्लेख केवल नाज़ारेथ निवासी के रूप में ही करते हैं। आर्किओलॉजी (Archaeology) पत्रिका में 2005 में प्रकाशित एक लेख में पुरातत्वविद् अविराम ओशरी (Aviram Oshri) ने इस ओर सूचित किया कि जिस काल में ईसा का जन्म हुआ, उस अवधि में उस क्षेत्र में कोई बस्ती होने के प्रमाण उपस्थित नहीं हैं और उनका दृढ़ मत है कि ईसा का जन्म गैलिली के बेथलहम (Bethlehem of Galilee) में हुआ था। उनका विरोध करते हुए, जेरोम मर्फी-ओ’कॉनर (Jerome Murphy-O’Connor) पारंपरिक विचार का ही समर्थन करते हैं।
बेथलहम में ईसा के जन्म के काल से जुड़ी प्राचीन परंपरागत मान्यता को ईसाई धर्ममण्डक जस्टिन मार्टर (Justin Martyr) द्वारा अनुप्रमाणित किया गया है, जिन्होंने ट्राइफो (Trypho) के साथ हुई एक चर्चा (सी. 155–161) में कहा कि इस पवित्र परिवार ने इस नगर के बाहर स्थित एक गुफा में शरण ली हुई थी। अलेक्ज़ेन्ड्रिया के ओरिजेन (Origen of Alexandria) ने वर्ष 247 के आस-पास किये गए अपने लेखन में बेथलहम शहर में स्थित एक गुफा का उल्लेख किया है, जिसे स्थानीय लोग ईसा का जन्मस्थान मानते थे। यह गुफा संभवतः वही थी, जो पहले तामुज़ (Tammuz) के संप्रदाय का स्थान रह चुकी थी।
सन 637 ईस्वी में, मुस्लिम सेनाओं, उमर इब्न अल-खताब ('Umar ibn al-Khattāb) द्वारा येरुशलम पर कब्ज़ा कर लिये जाने के कुछ ही समय बाद, दूसरे खलीफा बेथलहम आए और यह वचन दिया कि ईसा के जन्मस्थान पर बने चर्च को ईसाइयों के प्रयोग के लिये सुरक्षित रखा जाएगा. उमर ने शहर में चर्च के पास जिस स्थान पर प्रार्थना की थी, वहां उन्हें समर्पित एक मस्जिद का निर्माण किया गया। इसके बाद बेथलहम आठवीं सदी में उम्मायदों (Ummayads) की इस्लामिक खलीफाई व नवीं सदी में अब्बासिदों (Abbasids) के नियंत्रण से गुज़रा. फारसी भूगोलवेत्ता ने नवीं सदी के मध्य में यह दर्ज किया है कि शहर में एक सुसंरक्षित तथा अत्यधिक सम्मानित चर्च मौजूद था। सन 985 में, अरब के भूगोलवेत्ता अल-मकदेसी (al-Muqaddasi) ने बेथलहम की यात्रा की और इसके चर्चा का उल्लेख “कॉन्स्टन्टाइन का बैसिलिका (Basilica of Constantine), जिसके समान कुछ भी पूरे देश में कहीं नहीं है” कहकर किया। सन 1009 में, छठे फातिमिद खलीफा अल-हकीम बि-अम्र अल्लाह के शासनकाल के दौरान ईसा के जन्मस्थान पर बने इस चर्च (Church of the Nativity) को गिराने का आदेश दिया गया, लेकिन स्थानीय मुस्लिमों ने इसे छोड़ दिया क्योंकि उन्हें इस ढांचे के दक्षिणी अनुप्रस्थ भाग में प्रार्थना करने की अनुमति दे दी गई थी।
सन 1099 में, धर्मयोद्धाओं ने बेथलहम पर कब्जा कर लिया, इसकी सुरक्षा को मज़बूत बनाया और ईसा के जन्मस्थान पर बने चर्च (Church of the Nativity) के उत्तरी भाग में एक नए मठ तथा विहार का निर्माण किया। ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पादरियों को उनके स्थान से हटा दिया गया और लैटिन पादरियों की नियुक्ति की गई। इस समय तक, इस क्षेत्र में ग्रीक ऑर्थोडॉक्स लोगों की आधिकारिक ईसाई उपस्थिति थी। सन 1100 में क्रिसमस के दिन, बाल्डविन प्रथम (Baldwin I), येरुशलम के फ्रैंकिश शासन के राजा, का राज्याभिषेक बेथलहम में हुआ था और उसी वर्ष इस नगर में एक लैटिन धर्माध्यक्ष-वर्ग (episcopate) की स्थापना भी की गई।
सन 1187 में, सलादिन, मिस्र व सीरिया का वह सुल्तान, जिसने मुस्लिम अय्युबिदों (Ayyubids) का नेतृत्व किया, ने धर्मयोद्धाओं से बेथलहम को छीन लिया। लैटिन पादरियों को शहर छोड़ने पर मजबूर किया गया और ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पादरियों को वापस लौटने का मौका मिला. सन 1192 में सलादीन ने दो लैटिन पुरोहितों और दो उपयाजकों की वापसी पर सहमति जताई. हालांकि, बेथलहम को तीर्थयात्रियों से होने वाले व्यापार की हानि उठानी पड़ी क्योंकि यूरोपीय तीर्थयात्रियों की संख्या में बहुत अधिक गिरावट आई थी।
विलियम चतुर्थ (William IV), नेवर्स के काउंट (Count of Nevers) ने बेथलहम के ईसाई बिशप-समूह को यह वचन दिया था कि यदि बेथलहम मुस्लिम नियंत्रण के अधीन आ गया, तो वे छोटे से नगर क्लैमेसी में उनका स्वागत करेंगे, जो कि वर्तमान में फ्रांस के बरगंडी में है। इसी के अनुसार, सन 1223 में बेथलहम के बिशप ने पैंथेनॉर, क्लैमेसी के अस्पताल में निवास करना प्रारंभ किया। सन 1789 में फ्रांसीसी क्रांति से पूर्व तक, क्लैमेसी लगभग 600 वर्षों तक लगातार ‘गैर-विश्वासकर्ताओं के क्षेत्र में (in partibus infidelium)’ बेथलहम के धर्म-प्रांत (Bishopric) की धर्म-पीठ बना रहा.
अय्युबिदों और धर्मयोद्धाओं के बीच हुए दस वर्षों के युद्ध-विराम के बदले सन 1229 में पवित्र रोमन सम्राट फ्रेडरिक द्वितीय (Frederick II) और अय्युबिद सुल्तान अल-कामिल (al-Kamil) के बीच हुई एक संधि के द्वारा बेथलहम—येरुशलम, नाज़ारेथ और सिडॉन के साथ—को संक्षिप्त रूप से येरुशलम के धर्मयोद्धा शासन को हस्तांतरित कर दिया गया। सन 1239 में यह संधि समाप्त हो गई और सन 1244 में मुस्लिमों ने पुनः बेथलहम पर कब्ज़ा कर लिया।
सन 1250 में, रुक्न अल-दिन बैबर्स (Rukn al-Din Baibars) के अंतर्गत मामुलकों (Mamluks) की शक्ति के अधीन हो जाने पर, ईसाइयत की सहनशीलता में कमी आ गई; पादरियों ने शहर छोड़ दिया और सन 1263 में शहर की दीवारें ढहा दीं गईं. अगली सदी में लैटिन पादरी बेथलहम लौट आए और उन्होंने ईसा के जन्मस्थान के बैसिलिका (Basilica of the Nativity) के पास स्थित मठ में स्वयं को स्थापित किया। ग्रीक ऑर्थोडॉक्स समुदाय को बैसिलिका का नियंत्रण सौंपा गया और उन्होंने लैटिन व अर्मेनियाई लोगों के साथ मिल्क ग्रोटो (Milk Grotto) का साझा-नियंत्रण किया।
सन 1517 से, ऑटोमन नियंत्रण के दौरान, बैसिलिका के नियंत्रण को लेकर कैथलिक व ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्चों के बीच विवाद चलता रहा. सोलहवीं सदी के अंत तक, बेथलहम येरुशलम जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक बन चुका था और उसे सात भागों में उप-विभाजित किया गया था। इस अवधि में अन्य नेताओं के अतिरिक्त बास्बस परिवार (Basbus family) ने बेथलहम के प्रमुखों के रूप में अपनी सेवा दी.
बेथलहम गेहूं, जौ और अंगूर पर कर चुकाता था। मुस्लिम और ईसाई पृथक समुदायों के रूप में व्यवस्थित थे, जिनमें से प्रत्येक का अपना एक नेता था; सोलहवीं सदी के मध्य-काल में पांच नेता इस गांव का प्रतिनिधित्व करते थे, जिनमें से तीन मुस्लिम थे। ऑटोमन के कर-रिकॉर्ड बताते हैं कि ईसाई आबादी थोड़ी अधिक समृद्ध थी या अंगूर के बजाय अनाज अधिक उगाया करती थी, जो कि एक अधिक मूल्यवान पदार्थ था।
सन 1831 से 1841 तक, फिलिस्तीन मिस्र के मुहम्मद अली राजवंश के अधीन था। इस अवधि के दौरान, यह शहर एक भूकंप तथा साथ ही सन 1834 में मिस्र की सैन्य-टुकड़ियों द्वारा एक मुस्लिम भाग के विनाश, जो संभवतः इब्राहिम पाशा के एक कृपापात्र वफादार की हत्या के बदले के रूप में किया गया था, की घटनाओं से प्रभावित हुआ। सन 1841 में, बेथलहम पुनः एक बार ऑटोमन शासन के अधीन आ गया और प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक इसी के अधीन बना रहा. ऑटोमन शासकों के अधीन, बेथलहम के निवासियों ने बेरोज़गारी, अनिवार्य सैन्य सेवा और अत्यधिक करों का सामना किया, जिसका परिणाम सामूहिक उत्प्रवास, विशिष्टतः दक्षिणी अमरीका की ओर, के रूप में मिला. 1850 के दशक के एक अमरीकी मिशनरी ने 4,000 से कम आबादी की जानकारी दी है, ‘जिनमें से लगभग सभी ग्रीक चर्च से संबंधित थे’. उन्होंने यह टिप्पणी भी की है कि ‘जल की जानलेवा कमी है’ और इसलिये यह कभी भी एक बड़ा नगर नहीं बन सका.
सन 1920 से लेकर 1948 तक बेथलहम का प्रशासन ब्रिटिश अधिदेश के द्वारा किया जाता था। संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्य सभा (United Nations General Assembly) के 1947 के फिलिस्तीन के विभाजन के प्रस्ताव में बेथलहम को येरुशलम की विशेष अंतर्राष्ट्रीय परिवृत्ति में शामिल किया गया, जिसका प्रशासन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किया जाना था।
सन 1948 के अरब-इसराइली युद्ध के दौरान जॉर्डन के इस शहर पर कब्ज़ा कर लिया। सन 1947-48 में इसराइली सेनाओं के कब्ज़े में चले गए क्षेत्रों से अनेक शरणार्थी भागकर बेथलहम क्षेत्र में पहुंचे और मुख्य रूप से उन स्थानों में बस गए, जो बाद में आधिकारिक रूप से उत्तर में ‘अज़्ज़ा ('Azza) (बीट जिब्रिन) (Beit Jibrin) एवं ‘ऐदा ('Aida) के तथा दक्षिण में दीशेह (Dheisheh) के शरणार्थी शिविर बन गए। शरणार्थियों की इस घुसपैठ ने बेथलहम के ईसाई बहुमत को एक मुस्लिम बहुमत में रूपांतरित कर दिया है।
सन 1967 में छः-दिवसीय युद्ध के दौरान इसराइल द्वारा शेष वेस्ट-बैंक के साथ ही बेथलहम पर भी कब्ज़ा कर लिये जाने तक जॉर्डन ने इस शहर पर अपना नियंत्रण बनाए रखा. सन 1995 में वेस्ट-बैंक और गाज़ा-पट्टी पर हुए एक अंतरिम समझौते के अनुरूप 21 दिसम्बर 1995 को इसराइली टुकड़ियां बेथलहम से हटा लीं गईं और इसके तीन दिनों बाद यह शहर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण (Palestinian National Authority) के पूर्ण प्रशासनिक व सैन्य नियंत्रण के अधीन आ गया।
दूसरे फिलिस्तीनी इन्तिफादा (Palestinian Intifada), जो सन 2000-01 में शुरु हुआ था, के दौरान बेथलहम की अधोसंरचना व पर्यटन उद्योग को बहुत अधिक हानि उठानी पड़ी. सन 2002 में, यह ऑपरेशन डिफेंसिव शील्ड (Operation Defensive Shield), इसराइली सैन्य शक्तियों (Israeli Defense Forces) (आईडीएफ) (IDF) द्वारा किये गए एक बड़े सैन्य आक्रमण, में एक मुख्य युद्ध क्षेत्र था।
इस ऑपरेशन के दौरान आईडीएफ (IDF) ईसा के जन्मस्थान पर बने चर्च (Church of the Nativity) को घेर लिया, जहां लगभग 200 फिलिस्तीनी आतंकियों ने चर्च को बंधक बना लिया था। यह घेराबंदी 39 दिनों तक जारी रही और इस दौरान नौ आतंकियों व चर्च के घण्टा-वादक (bellringer) को मार डाला गया। इसकी समाप्ति 13 वांछित आतंकियों को विभिन्न यूरोपीय राष्ट्रों व मॉरिटानिया (Mauritania) में निर्वासित कर दिये जाने के एक समझौते के साथ हुई.
बेथलहम पर स्थित है बेथलहम की समुद्र की सतह से उंचाई लगभग 775 मीटर (2,543 फी॰) है, जो कि समीपस्थ येरुशलम से 30 मीटर (98 फी॰) उच्च है। बेथलहम यहूदिया पर्वत (Judean Mountains) के दक्षिणी भाग पर स्थित है।
यह शहर गाज़ा (Gaza) और भूमध्य सागर के 73 किलोमीटर (45 मील) उत्तर-पूर्व में, अम्मान, जॉर्डन के 75 किलोमीटर (47 मील) पश्चिम में, तेल अविव, इसराइल के 59 किलोमीटर (37 मील) दक्षिण-पूर्व में और येरुशलम के 10 किलोमीटर (6 मील) दक्षिण में स्थित है। इसके समीपस्थ बसे शहरों में उत्तर में बीट सफाफा (Beit Safafa) और येरुशलम, उत्तर-पश्चिम में बीट जाला (Beit Jala), पश्चिम में हुसान (Husan), दक्षिण-पश्चिम में अल-खद्र (al-Khadr) व अर्तास (Artas), तथा पूर्व में बीट सहौर (Beit Sahour) शामिल हैं। बीट जाला (Beit Jala) और बाद वाले मिलकर बेथलहम के साथ एक संकुलन बनाते हैं और ऐदा तथा अज़्ज़ा शरणार्थी शिविर शहर की सीमाओं के भीतर स्थित हैं।
बेथलहम के केंद्र में इसका प्राचीन शहर है। यह प्राचीन शहर आठ भागों से मिलकर बना है, जो मैंगर चौक (Manger Square) के आस-पास के क्षेत्र का निर्माण करते हैं। इन भागों में ईसाई अल-नजाज्रेह (al-Najajreh), अल-फ़राहियेह (al-Farahiyeh), अल-अनात्रेह (al-Anatreh), अल-तराजमेह (al-Tarajmeh), अल-क़वाव्सा (al-Qawawsa) और ह्रीज़त (Hreizat) भाग तथा अल-फ़वाघरेह (al-Fawaghreh)—एकमात्र मुस्लिम भाग— शामिल हैं। अधिकांश ईसाई भागों के नाम उन अरब घैसनिद (Ghassanid) संप्रदायों के नाम पर रखे गए हैं, जो वहां बस गए। अल-क़वाव्सा (Al-Qawawsa) भाग का निर्माण अठारहवीं सदी में समीपस्थ नगर तुक़ु’ (Tuqu') से आए अरब ईसाई उत्प्रवासियों द्वारा किया गया था। पुराने शहर के भीतर एक सीरियाई भाग भी है, जिसके नागरिक तुर्की में मिदयात (Midyat) और मा’असार्ते (Ma'asarte) से आए हैं। इस प्राचीन शहर की कुल जनसंख्या लगभग 5,000 है।
गर्म व सूखी गर्मियों और ठंडी शीत-ॠतु के साथ बेथलहम में भूमध्यसागरीय जलवायु है। शीत-ॠतु (मध्य-दिसंबर से मध्य-मार्च) का तापमान ठंडा और बरसाती हो सकता है। जनवरी सबसे ठंडा माह है, जिसमें तापमान 1 से 13 अंश सेल्सियस (33–55 अंश फारेनहाइट (°F)) के बीच हो सकता है। मई से सितंबर तक, मौसम गर्म और धूप से भरा होता है। 27 अंश सेल्सियस (81 अंश फारेनहाइट (°F)) के उच्च तापमान के साथ अगस्त सबसे गर्म माह है। बेथलहम में प्रतिवर्ष औसतन 700 millimeters (27.6 in) वर्षा होती है, जिसमें से 70% नवंबर से जनवरी के बीच होती है।
बेथलहम की औसत वार्षिक सापेक्ष आर्द्रता 60% है और जनवरी व फरवरी के बीच यह अपनी उच्चतम दरों पर पहुंच जाती है। मई में आर्द्रता के स्तर न्यूनतम होते हैं। प्रतिवर्ष 180 दिनों तक रात में ओस पड़ सकती है। इस शहर पर भूमध्यसागर से आने वाली हवाओं का प्रभाव पड़ता है, जो कि दिन के मध्य में उत्पन्न होती हैं। हालांकि बेथलहम अप्रैल, मई और मध्य-जून के दौरान अरब के रेगिस्तान से आने वाली गर्म, सूखी, रेत-भरी और धूल-भरी खमासीन (Khamaseen) हवाओं से भी प्रभावित होता है।
वर्ष | जनसंख्या |
---|---|
1867 | 3,000-4,000 |
1945 | 8,820 |
1961 | 22,450 |
1983 | 16300 |
1997 | 21,930 |
2004 (अनुमानित) | 28,010 |
2006 (अनुमानित) | 29,930 |
2007 | 25,266 |
पीसीबीएस (PCBS) की 1997 की जनगणना के अनुसार, इस शहर की जनसंख्या 21,670 थी, जिसमें कुल 6,570 शरणार्थी शामिल हैं, जिनकी संख्या शहर की जनसंख्या का 30.3% है। सन 1997 में, बेथलहम के निवासियों के आयु-वितरण के अनुसार 27.4% निवासियों की आयु 10 वर्ष से कम थी, 20% लोग 10 से 19 वर्ष की आयु के थे, 17.3% निवासियों की आयु 20-29 वर्ष थी, 17.7% लोग 30 से 44 वर्ष के बीच थे, 12.1% की आयु 45-64 थी तथा 5.3% लोग 65 वर्ष की आयु को पार कर चुके थे। पुरुषों की संख्या 11,079 तथा महिलाओं की 10,594 थी।
पीसीबीएस (PCBS) के एक आकलन के अनुसार, मध्य-2006 में बेथलहम की जनसंख्या 29,930 थी। हालांकि, पीसीबीएस (PCBS) की वर्ष 2007 की जनगणना में यह पाया गया कि जनसंख्या 25,266 थी, जिसमें 12,753 पुरुष और 12,513 महिलाएं थीं। निवासी ईकाइयों की संख्या 6,709 थी, जिनमें 5,211 परिवार थे। परिवारों में सदस्यों की औसत संख्या 4.8 थी।
ऑटोमन कर रिकार्ड के अनुसार 16वीं सदी के प्रारंभ में ईसाइयों की संख्या कुल जनसंख्या के लगभग 60% थी, जबकि 16वीं सदी के मध्य-काल तक ईसाई और मुस्लिम जनसंख्या लगभग समान हो चुकी थी। इस सदी के अंत तक कोई भी मुस्लिम निवासी नहीं बचा था और वयस्क पुरुष कर-दाताओं की संख्या 287 थी। पूरे ऑटोमन साम्राज्य के सभी गैर-मुस्लिमों की तरह, ईसाईयों को भी जिज़या-कर (jizya tax) देना पड़ता था। सन 1867 में एक अमरीकी यात्री ने वर्णन किया कि शहर की जनसंख्या 3,000 से 4,000 के बीच थी; जिनमें लगभग 100 प्रोटेस्टेंट (Protestants), 300 मुस्लिम और "शेष लैटिन व ग्रीक चर्चों के सदस्य तथा कुछ अर्मेनियाई (Armenians) थे ".
सन 1948 में, शहर की धार्मिक रचना में 85% ईसाई, अधिकांश ग्रीक ऑर्थोडॉक्स (Greek Orthodox) व रोमन कैथलिक (Roman Catholic) पंथों के अनुयायी, तथा 13% सुन्नी मुस्लिम थे। सन 2005 तक, ईसाई निवासियों की संख्या नाटकीय रूप से घटकर लगभग 20% रह गई। प्राचीन शहर में स्थित एकमात्र मस्जिद ओमर की मस्जिद (Mosque of Omar) है, जो कि मैंगर चौक (Manger Square) पर स्थित है।
बेथलहम के ईसाई निवासियों में से अधिकांश लोग अरब के प्रायद्वीप के अरब ईसाई पंथ के वंशज होने का दावा करते हैं, जिनमें शहर के दो सबसे बड़े-अल फ़राहिया (al-Farahiyya) और अन-नजाज्रेह (an-Najajreh) शामिल हैं। इनमें से पहले समूह का दावा है कि वे उन घासनिदों (Ghassanids) के वंशज हैं जिन्होंने यमन से वर्तमान जॉर्डन के वादी मुसा (Wadi Musa) की ओर देशांतरण किया था और अन-नजाज्रेह (an-Najajreh) के लोग दक्षिणी हेजाज़ (Hejaz) में नाजरान (Najran) के अरबों के वंशज हैं। बेथलहम का एक अन्य पंथ, अल-अनांत्रेह (al-Anantreh), भी अपनी वंशावली को अरब प्रायद्वीप से जोड़ता है।
बेथलहम में ईसाइयों का प्रतिशत निरंतर गिर रहा है, जिसका मुख्य कारण लगातार हो रहा उत्प्रवास है। मुस्लिम समुदाय की तुलना में ईसाइयों की निम्न जन्म-दर भी इस गिरावट का एक कारण है। सन 1947 में, ईसाई कुल जनसंख्या के 75% थे, लेकिन 1998 तक यह प्रतिशत गिर कर 23% पर आ गया। बेथलहम के वर्तमान महापौर, विक्टर बातारेश (Victor Batarseh) ने वॉइस ऑफ अमेरिका (Voice of America) को बताया कि, "तनाव, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक, तथा बुरी आर्थिक स्थितियों के कारण, कई लोग, चाहे वे ईसाई हों या मुस्लिम, उत्प्रवास कर रहे हैं, लेकिन यह ईसाइयों में अधिक दिखाई देता है क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं।"
अंतरिम समझौते का पालन करने वाला फिलिस्तीनी प्राधिकरण (Palestinian Authority) आधिकारिक रूप से बेथलहम क्षेत्र के ईसाइयों की समानता के लिये प्रतिबद्ध है, हालांकि प्रिवेंटिव सेक्युरिटी सर्विस (Preventive Security Service) एवं आतंकी गुटों की ओर से उनके खिलाफ हिंसा की भी कुछ घटनाएं होती रहीं हैं।
द्वितीय इंतिफादा (Second Intifada) की शुरुआत और इसके परिणामस्वरूप पर्यटन में आई कमी ने भी ईसाई अल्पसंख्यकों को प्रभावित किया है और इनमें से अनेक लोगों को आर्थिक रूप से झटका लगा है क्योंकि वे बेथलहम के अनेक होटलों और सेवाओं के मालिक हैं, जो विदेशी पर्यटकों की आवश्यकताओं का ध्यान रखती हैं। ईसाइयों द्वारा इस क्षेत्र को छोड़ने के कारणों पर किये गये एक सांख्यिकीय विश्लेषण ने इसके लिये आर्थिक और शैक्षणिक अवसरों की कमी, विशेषतः ईसाइयों की मध्यम-वर्गीय अवस्था और उच्च शिक्षा के कारण, को दोषी ठहराया. द्वितीय इंतिफादा (Second Intifada) के बाद से, 10% ईसाई जनसंख्या ने यह शहर छोड़ दिया है।
वर्ष 2006 में फिलिस्तीनी सेंटर फॉर रिसर्च एंड डायलॉग (Palestinian Centre for Research and Cultural Dialogue) द्वारा किये गये बेथलहम के ईसाइयों के एक मतदान में यह पाया गया कि उनमें से 90% ने बताया कि उनके मुस्लिम मित्र हैं, 73.3% ने माना कि फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण (Palestinian National Authority) शहर में स्थित ईसाई धरोहर के साथ सम्मानजनक व्यवहार करता है और 78% ने इस क्षेत्र में इसराइली यात्रा प्रतिबंधों को ईसाइयों के निष्क्रमण का कारण माना.
हमास सरकार की आधिकारिक स्थिति शहर की ईसाई जनसंख्या का समर्थन करने की रही है, हालांकि शहर में इस्लामिक उपस्थिति को बढ़ाने, उदाहरणार्थ ईसाई पड़ोस में पहले प्रयोग न की जा रही किसी मस्जिद में आकर प्रार्थना करने की अपील करके, के कारण समय-समय पर कुछ अनाम निवासियों द्वारा इस पार्टी की आलोचना भी की जाती रही है। जेरुसलम पोस्ट (Jerusalem Post) के अनुसार, हमास के अंतर्गत, ईसाई जनसंख्या को कानून और व्यवस्था की कमी का सामना करना पड़ता है, जिसने इन्हें स्थानीय माफिया द्वारा ज़मीन हथिया लिये जाने के प्रति ग्रहणीय छोड़ दिया है, जो अप्रभावी अदालतों का और इस अनुभव का लाभ उठाते हैं कि ईसाई जनसंख्या द्वारा स्वयं के समर्थन में खड़े होने की संभावना कम है।
खरीदारी बेथलहम का एक प्रमुख क्षेत्र है, विशेषकर क्रिसमस के मौसम में. शहर की मुख्य सड़क और पुराने बाज़ार में हस्तशिल्प, मध्य-पूर्व के मसाले, आभूषण और पूर्वी मिठाइयां, जैसे बकलावा (baklawa), बेचने वाली दुकानों की कतार है।
इस शहर में हस्तशिल्प की वस्तुएं बनाने का इतिहास इसकी स्थापना जितना ही प्राचीन है। बेथलहम में अनेक दुकानों में स्थानीय जैतून के झुरमुट से बनी जैतून की लकड़ी की नक्काशी — जिसके लिये यह शहर प्रसिद्ध है — बेची जाती है। नक्काशी की हुई ये वस्तुएं बेथलहम आने वाले पर्यटकों द्वारा खरीदा जाने वाला प्रमुख उत्पाद है। धार्मिक हस्तशिल्प भी बेथलहम में एक प्रमुख उद्योग है और कुछ उत्पादों में हाथों से बनाए गए मदर-ऑफ-पर्ल (mother-of-pearl) से बने आभूषण, व साथ ही जैतून की लकड़ी से बनी मूर्तियां, डिब्बे एवं क्रॉस शामिल हैं। मदर-ऑफ-पर्ल हस्तशिल्प बनाने की कला से बेथलहम का परिचय 14वीं सदी के दौरान दमास्कस के फ्रांसिस्कन सन्यासियों (Franciscan friars) ने करवाया था। पत्थर और संगमरमर को काटना, टेक्सटाइल, फर्नीचर और सजावट अन्य मुख्य उद्योग हैं। बेथलहम में पेंट, प्लास्टिक, सिन्थेटिक रबर, दवाओं, निर्माण सामग्री और खाद्य उत्पादों, मुख्यतः पास्ता और कन्फेक्शनरी, का उत्पादन भी किया जाता है।
बेथलहम में एक वाइन बनाने वाली कंपनी, सन 1885 में स्थापित क्रेमिसन वाइन (Cremisan Wine), है, जो वर्तमान में अनेक देशों को वाइन की आपूर्ति करती है। इस वाइन का उत्पादन क्रेमिसन के मठ में रहने वाले भिक्षुओं द्वारा किया जाता है और अधिकांश अंगूरों का उत्पादन अल-खादेर (al-Khader) क्षेत्र से होता है। इस मठ का वाइन उत्पादन लगभग 700,000 लीटर प्रति वर्ष है।
पर्यटन बेथलहम का प्राथमिक उद्योग है और वर्ष 2000 के पूर्व की अन्य फिलिस्तीनी बस्तियों के विपरीत, अधिकांश कार्यरत निवासी इसराइल में कार्य नहीं करते. कार्यरत जनसंख्या के 25% से अधिक को इस उद्योग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त था। इस शहर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान लगभग 65% और फिलिस्तीनी राष्ट्रीय प्राधिकरण (Palestinian National Authority) में 11% है।
ईसा के जन्मस्थान पर स्थित चर्च (Church of the Nativity) बेथलहम के मुख्य पर्यटक आकर्षणों में से एक है और यह ईसाई तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने वाले चुम्बक के समान है। यह शहर के मध्य— मैंगर चौक (Manger Square) का एक भाग — में होली क्रिप्ट नामक एक खोह या गुफा के ऊपर स्थित है, जहां संभवतः ईसा का जन्म हुआ था। पास में ही एक मिल्क ग्रोटो (Milk Grotto) स्थित हैं, जहां इस पवित्र परिवार ने मिस्र की ओर पलायन करते समय शरण ली थी और उसी की बगल में वह गुफा है, जहां संत जेरोम (St. Jerome) ने हिब्रू ग्रंथों का लैटिन में अनुवाद करते हुए तीस वर्ष बिताए थे।
बेथलहम में तीस से भी अधिक होटल हैं। जकीर पैलेस (Jacir Palace), सन 1910 में चर्च के पास निर्मित, बेथलहम के सबसे सफल होटलों में से एक और यहां का सबसे पुराना होटल है। द्वितीय इंतिफादा (Second Intifada) की हिंसा के कारण वर्ष 2000 में इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन सन 2005 में इसे दोबारा खोला गया।
21 मई 2008 को बेथलहम ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में हुए अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सम्मेलन की मेजबानी की. इसकी पहल फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री और पूर्व वित्त-मंत्री सलाम फयाद (Salam Fayyad) द्वारा पूरे मध्य-पूर्व से आए 1,000 से अधिक व्यापारियों, बैंकरों व सरकारी अधिकारियों को वेस्ट बैंक व गाज़ा पट्टी में निवेश करने पर राज़ी करने के लिये की गई थी, हालांकि फयाद ने स्वीकार किया कि इसराइली-फिलिस्तीनी संघर्ष से सीधे जुड़े होने के कारण ये क्षेत्र “उपयुक्त व्यापारिक वातावरण से बहुत दूर हैं”. इसके बावजूद, फिलिस्तीनी क्षेत्रों में व्यापारिक निवेशों के लिये 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर आरक्षित किये गये।
एक राज्य के रूप में इसराइल की स्थापना से पूर्व, बेथलहम के वस्र तथा कशीदाकारी संपूर्ण यहूदिय?