हूवर बांध

हूवर बांध, जो कभी बौल्डर बांध के नाम से जाना जाता था, एक कंक्रीट गुरुत्वाकर्षण-चाप बांध है, जो अमेरिकी राज्यों एरिज़ोना और नेवादा की सीमा के बीच स्थित कोलोराडो नदी के ब्लैक कैनियन पर है. जब 1936 में इसका निर्माण पूरा हुआ, तब यह पनबिजली ऊर्जा उत्पन्न करने वाला विश्व का सबसे बड़ा स्टेशन और विश्व की सबसे बड़ी संरचना थी. 1945 में ग्रांड कौली बांध, इन दोनों ही मामलों में इससे आगे निकल गया. यह आज की तारीख में विश्व का 38वां सबसे बड़ा पनबिजली उत्पादन केंद्र है.

लास वेगास, नेवादा के दक्षिणपूर्व में स्थित30 मील (48 किमी) इस बांध का नाम हरबर्ट हूवर के नाम पर रखा गया है जिन्होंने पहले एक वाणिज्य ट्रू िव के रूप में और बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में इस बांध के निर्माण में एक सहायक भूमिका निभाई. इसका निर्माण 1931 में शुरू हुआ और 30 सितंबर 1935 को राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा इसे समर्पित कर दिया गया, लेकिन इसका निर्माण 1936 तक ही पूर्ण हो पाया जो अपने निर्धारित समय से दो वर्ष आगे चल रहा था. यह बांध और ऊर्जा संयंत्र अमेरिका के आंतरिक विभाग के ब्यूरो ऑफ़ रिक्लमेशन द्वारा संचालित होता हैं. 1981 में ऐतिहासिक स्थानों के राष्ट्रीय रजिस्टर में सूचीबद्ध होने के बाद, हूवर बांध को 1985 में एक नैशनल हिस्टोरिक लैंडमार्क नामित किया गया.

लेक मिएड बांध द्वारा निर्मित एक जलाशय है, जिसका नाम बांध के निर्माण निरीक्षक एडवुड मिएड के नाम पर रखा गया है.

योजना और समझौते

1922 में एक आयोग का गठन किया गया जिसमें प्रत्येक बेसिन राज्यों से प्रतिनिधियों को लिया गया और संघीय सरकार से एक प्रतिनिधि को लिया गया. हर्बर्ट हूवर संघीय प्रतिनिधि बने, जो उस समय राष्ट्रपति वॉरेन हार्डिंग के शासन में वाणिज्य ट्रू िव थे. जनवरी 1922 में, हूवर कोलोराडो नदी के जल को सभी राज्यों के उपयोग के लिए संविभाजित करने के लिए एक न्यायपूर्ण व्यवस्था पर सहमति बनाने के लिए एरिज़ोना, कैलिफोर्निया, कोलोराडो, नेवादा, न्यू मैक्सिको, उटा और व्योमिंग राज्यों के राज्यपालों से मिले. फलित हुए कोलोराडो नदी समझौते ने, जिस पर 24, नवंबर 1922 में हस्ताक्षर किया गया, नदी क्षेत्र को ऊपरी और निचले भागो में विभाजित कर दिया, साथ ही इसके प्रत्येक भाग में आने वाले राज्यों में जल को कैसे विभाजित किया जाए इस मुद्दे पर निर्णय लिया गया. हूवर कोम्प्रोमाईज़ नामक इस समझौते ने, बौल्डर बांध परियोजना के लिए मार्ग प्रशस्त किया. इस विशाल बांध का निर्माण, सिंचाई जल प्रवाह प्रदान करने, बाढ़ नियंत्रण और पनबिजली ऊर्जा उत्पादन करने के उद्देश्य से किया गया था.

पहली बार कांग्रेस की मंजूरी हासिल करने का प्रयास किया गया जिसके तहत 1922 में हाउज़ ऑफ़ रिप्रेसेन्टेटिव और सेनेट में दो बिलों को प्रस्तावित किया गया. इन बिलों को कांग्रेसी फिल डी.स्विंग और सेनेटर जॉनसन डब्ल्यू हीराम द्वारा प्रस्तावित किया गया और ये स्विंग-जॉनसन बिलों के नाम से जाने गए. ये बिल मतदान जुटाने में असफल रहे और इन्हें बाद में कई बार पेश किया गया. 1928 दिसम्बर में, दोनों सदनों और सीनेटों ने अंततः इस बिल को मंजूरी दे दी और उसे राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया. 21 दिसम्बर 1928 में, राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने बिल पर हस्ताक्षर करके बोल्डर कैनियन परियोजना को मंजूरी दी. निर्माण के लिए प्रारंभिक विनियोग जुलाई 1930 में किया गया था, जिस समय तक हर्बर्ट हूवर राष्ट्रपति बन चुके थे.

प्रारंभिक योजनाओं के अनुसार इस बांध को बौल्डर कैनियन में बनाया जाना था, इसलिए इस परियोजना का नाम बौल्डर कैनियन परियोजना रखा गया था. बांध निर्माण स्थल को अंततः आठ मील (13 km) नीचे ब्लैक कैनियन तक ले जाया गया, लेकिन परियोजना का नाम वही रहा. ब्लैक कैनियन में पुनर्स्थापित होने का मुख्य उद्देश्य यह था कि बौल्डर कैनियन पर बसा एक बांध, बांध परियोजना स्थल के नीचे से बह रही नदी- जिसे बौल्डर बेसिन का क्षेत्र कहा जाता है, को पर्याप्त भौतिक नियंत्रण प्रदान नहीं को कर पाती. ब्लैक कैनियन अनुप्रवाहित नदी को एक बेहतर सम्पूर्ण नियंत्रण प्रदान करती है.

ठेकेदार

11 मार्च 1931 को बौल्डर बांध को बनाने का अनुबंध सिक्स कम्पनीज़, इंक को दिया गया, जो बोइस, आइडहो के मोरिसन-केंयुदसन कंपनी; ओगडेन, उटा की, उटा कंस्ट्रकशन कंपनी; पोर्टलैंड, ओरेगन की पेसिफिक ब्रिज कंपनी; ओकलैंड, कैलिफोर्निया की हेनरी जे कैसर और डब्ल्यू.ए.बेकटेल कंपनी; लॉस एंजिल्स की मैकडोनैल्ड एंड क्हान लिमिटेड; और पोर्टलैंड, ओरेगन की जे.ऍफ़.शेया कंपनी का एक संयुक्त उद्यम था. सिक्स कम्पनीज़ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी फ्रैंक क्रो ने पूर्व में इस बांध के निर्माण के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया.

निर्माण में कंक्रीट-डालने और सख्त किए जाने के दौरान, प्रशीतित पानी को वर्गों में डाल कर कंक्रीट के भीतर के ट्यूबों से परिचालित करना आवश्यक था. ऐसा कंक्रीट को सख्त बनाने के लिए इस्तेमाल की गई रासायनिक प्रतिक्रियाओं से उत्पन्न गर्मी को हटाने के लिए किया जाता था. गणनाओं के अनुसार यदि बिना अतिरिक्त ठंडा किए कंक्रीट को एक ही बार में डाल दिया गया तो उसे जमने और सख्त होने में 125 वर्षों का समय लगेगा. इस कार्य को काफी मात्रा में कर लेने के पश्चात सिक्स कम्पनीज़, इंक, ने यह पाया कि इतनी बड़ी प्रशीतन परियोजना उनकी विशेषज्ञता से परे थी. इसलिए, प्रशीतन की आवश्यकता की पूर्ति में सहायता के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के साथ अनुबंध किया गया.

सिक्स कम्पनीज़, इंक, को श्रमिकों के लिए बौल्डर सिटी नामक एक नए कस्बे के निर्माण के लिए अनुबंधित किया गया, लेकिन बांध के निर्धारित निर्माण कार्य अवधि में तेज़ी लाई गई ताकि ग्रेट डिप्रेशन के प्रारम्भ में प्रतिक्रिया स्वरूप अधिक नौकरियां तैयार की जा सके और 1931 में बांध का निर्माण शुरू होने और श्रमिकों का पहला दस्ता पहुंचने तक कस्बे का निर्माण नही हो पाया. निर्माण अवधि के पहले ग्रीष्म के दौरान, श्रमिकों और उनके परिवारों को रैगटाउन जैसे अस्थायी शिविरों में रखा गया, जबकि कस्बे का काम प्रगति पर था. रैगटाउन और बांध स्थल पर खतरनाक स्थिति में काम करने के प्रति असंतोष, 8 अगस्त 1931 में एक हड़ताल का कारण बना. सिक्स कम्पनीज़ ने इस हड़ताल के जवाब में बंदूकों और लाठियों से लैस हड़ताल तोड़ने वालों को भेजा और हड़ताल को जल्द ही काबू में कर लिया गया. लेकिन इस असंतोष ने अधिकारियों को बौल्डर सिटी के निर्माण कार्य की गति तेज़ करने के संकेत दिए और 1932 के वसंत तक रैगटाउन को खाली करवा दिया गया. निर्माण की अवधि के दौरान बौल्डर सिटी में जुआ, शराब पीना और वेश्यावृत्ति की अनुमति नहीं थी. बौल्डर सिटी नेवादा के उन दो जगहों से एक है जहां आज तक जुआ खेलना मना है और जहां 1969 तक शराब की बिक्री गैरकानूनी थी.

सुरंगों में काम करते हुए, कई श्रमिकों को वहां की मशीनों से निकलनेवाले कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण कष्ट उठाना पड़ा. ठेकेदारों ने दावा किया कि उनकी बीमारी निमोनिया थी और वह उनकी जिम्मेदारी नहीं थी. जब नेवादा के अधिकारियों ने राज्य खनन वायु-गुणवत्ता कानूनों को लागू करने की कोशिश की तब, ठेकेदार उन्हें अदालत ले गए. आधिकारिक तौर पर, हूवर बांध का निर्माण करते हुए केवल 96 श्रमिकों की मृत्यु हुई. कुछ श्रमिक तथाकथित "निमोनिया" के कारण बीमार पड़े और उनका निधन हो गया. उनमें से अधिकांश की गणना, आधिकारिक मृत्यु सूची में नहीं की गई. ['] "ब्यूरो ऑफ़ रिक्लेमेशन के मृत्यु आंकड़ों के अनुसार निर्माण कार्य अवधि के दौरान किसी भी और कारण से अधिक निमोनिया को 42 मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया". जनवरी, 1936 में सिक्स कम्पनीज़ ने पचास गैस-सूट अभियोगियों के साथ एक अज्ञात कीमत पर आउट-ऑफ़-कोर्ट समझौता कर लिया.

निर्माण

जमीनीकार्य

निर्माण स्थल को बाढ़ से बचाने के लिए, दो कोफ़र बांधों का निर्माण किया गया. ऊपरी कोफ़रबांध का निर्माण सितंबर 1932 में शुरू हुआ, हालांकि उस समय तक नदी के प्रवाह को मोड़ा नही गया था. एक अस्थायी घोड़े की नाल के आकार का तटबंध नेवादा की ओर वाली नदी से कोफ़र बांध की रक्षा करता था. एरिज़ोना सुरंगों के पूरा किये जाने और नदी के भाव को पथांतरणने के बाद, कार्य अधिक तेज़ी से सम्पन्न हुआ. एक बार कोफ़रबांध के बन जाने और बांध निर्माण स्थल के जल को हटाए जाने के बाद, बांध के लिए खुदाई शुरू किया गया. बांध के, चट्टानों पर स्थाई रूप से टिकने के लिए यह आवश्यक था कि नदी के तल में जमी, कटाव वाली मिट्टी और अन्य खुले पदार्थों को, ठोस पथरीली जमीन के मिलने तक हटाया जाए. जून 1933 में नींव खुदाई का कार्य सम्पन्न हुआ. नींव के लिए खुदाई के दौरान, लगभग 15,00,000 घन गज़ (11,00,000 मी3) सामग्री निकाल दी गई. चूंकि यह बांध गुरुत्वाकर्षण-चाप प्रकार का होगा, इस घाटी के अगल-बगल की दीवारें भी इस अवरुद्ध झील के बल को संभालेंगी. इसलिए अगल-बगल की दीवारों की भी खुदाई की गई, ताकि वर्जिन (अर्थात मौसम से अप्रभावित) पत्थरों तक पहुंचा जा सके जिन्होंने सदियों से रिसते नदी के प्रभाव का, शीत कालीन चटखन और एरिज़ोना-नेवादा रेगिस्तान के गर्म/ठंडे चक्र का अनुभव नहीं किया.

नदी का पथांतरण

निर्माण स्थल के आसपास नदी के प्रवाह को पथांतरणने के लिए, चार पथांतरण सुरंगों को घाटी के दीवारों के माध्यम से ले जाया गया, जिनमें से दो नेवादा कि ओर और दो एरिज़ोना की ओर था. यह सुरंग व्यास में 56 फ़ुट (17 मी) थी. उनकी संयुक्त लंबाई करीब 16,000 फ़ुट (4,900 मी) या 3 मील (4.8 किमी) से अधिक थी. मई 1931 में नेवादा सुरंगों के निचले पोर्टल्स में सुरंगन शुरू हुआ. इसके बाद शीघ्र ही, एरिज़ोना घाटी की दीवार में इसी तरह के दो सुरंगों पर काम शुरू किया गया. 1932 मार्च में, सुरंग पर कंक्रीट की परत चढ़ाने का कार्य शुरू किया गया. सर्वप्रथम बेस, या इन्वर्ट को डाला गया. कंक्रीट को जगह तक पहुंचाने के लिए, प्रत्येक सुरंग की पूरी लंबाई में बिछी रेलों पर चलने वाली गैन्ट्री क्रेनों का प्रयोग किया जाता था. इसके बाद अगल-बगल कि दीवारों को डाला गया. अगल-बगल की दीवारों के लिए इस्पात के चलायमान ढांचों का प्रयोग किया गया. अंततः, न्युमेटिक बंदूकों का उपयोग करके, ओवरहेडों को भरा गया. कंक्रीट की परत 3 फ़ुट (0.91 मी) मोटी है, जो तैयार सुरंग के व्यास को कम करके 50 फ़ुट (15 मी) कर देती है.

बांध के पूरा होने के बाद दोनो बाहरी पथांतरणों वाले सुरंगों के प्रवेश द्वार को शरुआत से लेकर आधे सुरंग तक विशाल कंक्रीट प्लगों द्वारा ढका गया. भीतरी प्लगों के पीछे, सुरंग का निचला अर्ध-भाग अब स्पिलवे सुरंगों का मुख्य खंड है.

पत्थर निकासी

प्रत्येक चाप दिवार के लिए दो लम्बवत नीवों को ऐसे पूर्ण साबुत पत्थरों पर बनाया जाना जरूरी था जो दरारों और उन मौसमी प्रभावों से मुक्त हों, जिसे घाटी की दीवारों के ऊपरी सतह के पत्थर हजारों वर्षों से खुले रहने और मौसम का प्रभाव झेलने के कारण सह रहे थे.

जिन श्रमिकों ने इस चट्टान को हटाया उन्हें हाई-स्केलर्स कहा जाता था. जब इन्हें घाटी के ऊपर से रस्सियों कि सहायता से लटकाया जाता था तब यह हाई-स्केलर्स घाटी कि दीवार से नीचे लटक कर ढीली चट्टानों को जैकहैमर और डिनामाईट की सहायता से तोड़ते थे.

कंक्रीट

6 जून 1933 में पहला कंक्रीट बांध में रखा गया. जैसा कि उस समय हूवर बांध के परिमाण की कोई संरचना का निर्माण नहीं किया गया था, बांध के निर्माण में प्रयोग की जाने वाले कई प्रक्रियाएं अपरीक्षित थीं. चूंकि कंक्रीट गर्म हो जाती है और जमने पर संकुचित होती है, असमान शीतलन और कंक्रीट के संकुचन ने एक गंभीर समस्या खड़ी कर दी. ब्यूरो ऑफ़ रिक्लेमेशन के इंजीनियरों ने गणना की कि यदि बांध को एक ढलाई में बनाया गया तो परिवेश के तापमान में उसे ठंडा होने में 125 वर्ष का समय लगेगा. इसके परिणामस्वरूप पड़ने वाला तनाव, बांध के चटकने और खंडित होने का कारण बन सकता था. इस समस्या को सुलझाने के लिए, बांध को समलम्बाकार कंक्रीट के आबद्ध खण्डों की एक श्रृंखला में बनाया गया. कंक्रीट को आगे और ठंडा करने के लिए प्रत्येक फार्म में 1 इंच (25 मिमी) की पतली-दीवारों वाली स्टील पाइप की ठंडी कॉएल थी. नदी के पानी को इन पाइपों के भीतर से बहाया जाता था ताकि सख्त होते हुए कंक्रीट में से गर्मी को उड़ाने में मदद मिल सके. इसके बाद, कंक्रीट को और ठंडा करने के लिए निचले कोफ़रबांध में स्थित एक प्रशीतन संयंत्र से शीतित जल को कॉएलों के माध्यम से बहाया जाता था. प्रत्येक परत के पर्याप्त रूप से ठंडा हो जाने के बाद, ठंडी कॉएलों को न्युमेटिक ग्राउट बंदूकों द्वारा काट दिया जाता था और दबाव को भर दिया जाता था. बांध के रूपरेखा और निर्माण पर्यवेक्षक जॉन एल सेवेज, कंक्रीट को ठंडा करने कि प्रक्रिया को विकसित करने के लिए भी ज़िम्मेदार थे.

बांध में इस्तेमाल किया गया कंक्रीट, सेन फ्रांसिस्को से न्यूयॉर्क तक के दो-लेन वाले एक राजमार्ग के निर्माण के लिए पर्याप्त है.

स्थापत्य शैली

प्रारंभिक योजना के अनुसार, बांध और ऊर्जा संयंत्र, दोनों के ही परिष्कृत गृह-मुख में एक साधारण, कंक्रीट की अनलंकृत दीवार में शामिल था जिसके ऊपर गॉथिक से प्रेरित एक कटघरा और एक बिजलीघर था जो लगभग एक औद्योगिक गोदाम जैसा प्रतीत होता था.['] कई लोगों ने इतने विशाल पैमाने पर चलने वाली ऐसी परियोजना के लिए इसके प्रारंभिक डिज़ाइन के बहुत सादे और साधारण होने के कारण आलोचना की, इसलिए उस समय डेनवर में फेडेरल ब्यूरो ऑफ़ रिक्लेमेशन के मुख्यालय के पर्यवेक्षण वास्तुकार और लॉस एंजिल्स में बसे गॉर्डन बी कॉफ़मन को इसकी बाहरी संरचना को पुनःरूपांकित करने के उद्देश्य से बुलाया गया.['] कॉफ़मन ने इमारतों को बहुत सुव्यवस्थित कर दिया और इस पूरी परियोजना में एक सुरुचिपूर्ण कलात्मक शैली का प्रयोग किया, जिसमें बांध के मुख से निर्बाध उभरता कलात्मक बुर्ज और अन्तर्ग्राही टावरों पर घड़ियां जिन्हें नेवादा और एरिजोना के समय के लिए निर्धारित किया गया था, क्रमशः पैसिफिक स्टैनडर्ड टाइम ज़ोन या पैसिफिक डेलाइट टाइम ज़ोन और माउन्टेन स्टैनडर्ड टाइम ज़ोन के लिए (यद्यपि, चूंकि एरिज़ोना, डेलाइट सेविंग टाइम का पालन नहीं करता है, दोनों घड़ियां, उत्तरी गर्मियों के आसपास, वर्ष के आधे समय एक ही समय दर्शाती हैं).

कॉफ़मन के आदेश पर, डेन्वर के कलाकार एलन टुपर ट्रू को नए बांध की दीवारों और फर्श के रेखांकन और सजावट का प्रबंध करने के लिए मंडल में शामिल किया गया. ट्रू ने उस क्षेत्र की नावाजो और पुएब्लो जनजातियों के रूपांकनों को शामिल करने कि कल्पना की. हालांकि कुछ लोग प्रारम्भ में इन डिज़ाइनों के खिलाफ थे, ट्रू को काम जारी रखने की अनुमति मिल गई और उन्हें आधिकारिक तौर पर परामर्शी कलाकार नियुक्त किया गया. राष्ट्रीय मानव विज्ञान प्रयोगशाला की सहायता से ट्रू ने भारतीय रेत चित्रों, बुनाइयों, टोकरियों और सिरेमिकों, के सजावटी रूपांकनों का प्रामाणिक शोध किया. चित्र और रंग, मूल अमेरिकी द्रष्टिकोण पर आधारित वर्षा, बिजली, पानी, बादल और कुछ स्थानीय पशुओं-जैसे छिपकलियों, नागों, पक्षियों-और पश्चिमी परिदृश्य के सीढ़ी वाले पठारों, पर आधारित हैं. इस विशाल बांध के वॉकवेज़ और अंदरूनी हॉल में एकत्रित कलाकृतियों में, ट्रू ने, प्रतीकात्मक आकृतियों को एक ही साथ प्राचीन और आधुनिक दिखाते हुए प्रचालन तन्त्र को भी परिलक्षित किया.

टेराज़ो फर्श पर सन्निहित यह मूल अमेरिकी रूपांकन, किसी विशाल टरबाइन के पहियों की तरह दिखता है, फिर भी वे स्पष्टतया भारतीय अमेरिकी मूल के हैं. ट्रू के लिए, अमेरिकी भारतीय से सम्बंधित आकृतियां और डिज़ाइन, प्राचीन रोम और यूनानी के साथ मेल खाते थे. ट्रू के रेखांकनों ने कॉफ़मन की स्मारकीय वास्तुकला में अपनी अच्छी भूमिका निभाई और यह कहा जाना चाहिए कि उन दोनों ने मिलकर आधुनिकता के एक अमेरिकी मंदिर का निर्माण किया.

वास्तुकार कॉफ़मन और इंजीनियरों की सहमति से ट्रू ने पाइपों और मशीनों के लिए एक ऐसा परिवर्तनात्‍मक रंग कोडिंग तैयार किया जो ब्यूरो ऑफ़ रिक्लमेशन की सभी परियोजनाओं में लागू हुआ. परामर्श कलाकार के रूप में ट्रू का कार्यकाल 1942 के बाद तक चला और उसका विस्तार किया गया ताकि वे पार्कर, शास्टा और ग्रैंड कौली बांध का रेखांकन कार्य भी पूरा कर सकें. उस समय, बौल्डर बांध पर किए गए ट्रू के काम को न्यू यॉर्कर पत्रिका में विनोदपूर्वक ढंग से लिखी एक कविता के रूप में प्रकाशित किया गया, जिसका एक भाग इस प्रकार था, "लूज़ दी स्पार्क, एंड जस्टिफाई दी ड्रीम; बट ओल्सो वर्दी ऑफ़ रिमार्क विल बी दी कलर स्कीम..."

निर्माण के दौरान हुई मृत्यु

बांध के निर्माण के साथ 112 मौतें जुड़ी हुई थी. बांध पर काम करते हुए कितने लोगों की मृत्यु हुई और मरने वालों में कौन पहला और कौन आखरी था इसका कोई निश्चित विवरण नही है. एक लोकप्रिय कथा के अनुसार हूवर बांध के निर्माण में मरने वाले प्रथम व्यक्ति सर्वेक्षक जे.जी. टिएर्नेय थे, जिनकी मत्यु बांध के लिए आदर्श स्थान ढूंढते हुए डूब जाने से हुई. संयोगवश, उनके बेटे, पैट्रिक डब्ल्यू टिएर्नेय, बांध पर कार्य करते हुए मरने वाले अंतिम व्यक्ति थे, जो उनके पिता के मृत्यु दिवस से 13 वर्ष बाद था. छानबे लोगों की मृत्यु निर्माण स्थल पर निर्माण के दौरान हुई. हालांकि, एक और सर्वेक्षक की मृत्यु निर्माण से पहले एक संभावित निर्माण स्थल का सर्वेक्षण करते हुए हुई और इन आंकड़ों में निर्माण के दौरान हुए अन्य आकस्मिक और संयोग वश मृत्युएं (जैसे दिल का दौरा, हृद्पात, आदि) शामिल नहीं है.

निर्माण कलाकृतियां

सिक्स कम्पनीज़ द्वारा विशेष डंप कारों के एक समूह को रेलमार्ग पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया, जो निर्माण कार्य में मददगार साबित हुआ. आज भी उनमे से एक कार कैलिफोर्निया, पोर्टोला के वेस्टर्न पेसिफिक रेल रोड म्यूज़ियम में बची हुई है. वेस्टर्न पेसिफिक रेल रोड ने ऐसी कई कारों को निर्माण पश्चात कंपनी के कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए अधिग्रहित किया.

प्रचालन

बिजली-संयंत्र

मीएड झील से बहता हुआ जल धीरे-धीरे संकुचित होते हुए स्लूस के माध्यम से गुज़रते हुए बिजलीघर में पहुंचता है और टर्बाइनों तक पहुंचते हुए उसकी गति लगभग 85 मील/घंटा (137 किमी/घंटा) हो जाती है. कोलोराडो नदी का पूरा प्रवाह टरबाइन के माध्यम से होकर गुजरता है (केवल उस जल को छोड़ कर जो उन अर्द्ध-छिद्रपूर्ण वोल्कैनिक चट्टानों के आस-पास से रिसता है जिन पर वह बांध टिका हुआ है.) स्पिलवे का बहुत कम ही उपयोग किया जाता है.

1986 से 1993 तक एक उच्च दर परियोजना को पूरा करते हुए, संयंत्र के लिए कुल सकल ऊर्जा दर, लगभग 2080 मेगावाट का थी, जिसमें दो 2.4 मेगावाट['] विद्युत उत्पादक शामिल हैं, जो संयंत्र के प्रचालन को ऊर्जा प्रदान करती है.

बिजलीघर के लिए खुदाई का कार्य बांध के नीव और आधार के लिए किए गए खनन कार्य के साथ ही चलाया गया. बांध के निचले अनुप्रवाह की ओर स्थित यू-आकार संरचना के लिए खुदाई का कार्य 1933 में पूर्ण हुआ, जिसका पहला कंक्रीट नवम्बर 1933 में रखा गया था.

बांध के हूवर ऊर्जा संयंत्र के जनरेटरों ने 26 अक्टूबर 1936 को, कोलोराडो नदी से 266 मील (428 किमी) दूर लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में बिजली संचरण शुरू किया. 1961 तक अतिरिक्त उत्पादन इकाइयां जोड़ी गई. मूल योजना के अनुसार 16 बड़े जेनरेटर लगाए जाने थे, जिनमें नदी के दोनों ओर आठ-आठ जनरेटर लगाए जाने थे (वास्तुशिल्प चित्र देखें), परन्तु एक बड़े जेनरेटर के स्थान पर दो छोटे जेनरेटरों को एरिज़ोना की ओर लगाया गया जिससे जेनरेटरों की कुल संख्या 17 हो गई. इससे पहले कि बांध की कुल ऊर्जा उत्पादन को ग्रिड पर रख कर मनमाने ढंग से वितरण योग्य बना दिया जाता, छोटे जेनरेटरों का प्रयोग छोटे नगर पालिकाओं की सेवा करने के लिए उस समय इस्तेमाल किया जाने लगा जब प्रत्येक जेनरेटर का उत्पादन एक नगर पालिका को समर्पित था.

पनबिजली विद्युत संयंत्रों के पास मांग के अनुसार ऊर्जा उत्पादन परिमाण में फेर बदल करने की क्षमता होती है. भाप टरबाइन ऊर्जा संयंत्र की प्रणाली में थर्मोडाईनेमिक निष्क्रियता का परिमाण होने के कारण उसे आसानी से नियंत्रित किया जाना सम्भव नहीं होता है.

पानी पर नियंत्रण ही बांध के निर्माण में प्राथमिक चिंता का विषय था. ऊर्जा उत्पादन ने बांध परियोजना को आत्मनिर्भर बनाया: 50-वर्षों के निर्माण ऋण को चुकाने और बहु-मिलियन डॉलरों के वार्षिक रखरखाव बजट का भुगतान जारी रखने में सक्षम बनाकर. ऊर्जा चरणों में उत्पन्न होती है, सिर्फ और सिर्फ जल के अधोप्रवाह की ज़रूरत के प्रतिक्रिया स्वरूप जल को छोड़कर.

बिजली वितरण

ब्यूरो ऑफ़ रिक्लेमेशन की रिपोर्ट के अनुसार उत्पन्न ऊर्जा का आबंटन इस प्रकार होता है:

क्षेत्रफल प्रतिशत
मेट्रोपोलिटन वॉटर डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ सदर्न कैलिफोर्निया 28.5393%
स्टेट ऑफ़ नेवादा 23.3706%
स्टेट ऑफ़ एरिज़ोना 18.9527%
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 15.4229%
दक्षिणी कैलिफोर्निया एडीसन कंपनी 5.5377%
बौल्डर सिटी, नेवादा 1.7672%
ग्लेनडेल, कैलिफोर्निया 1.5874%
पेसाडेना, कैलिफोर्निया 1.3629%
अनेहेइम, कैलिफोर्निया 1.1487%
रिवरसाइड, कैलिफोर्निया 0.8615%
वेर्नोन, कैलिफोर्निया 0.6185%
बरबैंक, कैलिफोर्निया 0.5876%
अज़ूसा, कैलिफोर्निया 0.1104%
कोलटन, कैलिफोर्निया 0.0884%
बैनिंग, कैलिफोर्निया 0.0442%

स्पिल्वेज़

बांध को स्पिल्वेज़ के द्वारा शीर्ष-बहाव से बचाया जाता है. स्पिलवे के प्रवेश द्वार बांध की प्रत्येक सीमा के पीछे स्थित हैं, जो मोटे तौर पर घाटी की दीवारों के समानांतर चलते हैं. स्पिलवे की प्रवेश व्यवस्था एक उत्कृष्ट एक ओर प्रवाहित होने वाले मेड़ बनाती हैं जिसमे प्रत्येक स्पिलवे में चार 100 फ़ुट (30 मी) लम्बे और 16 फ़ुट (4.9 मी) उच्च स्टील ड्रम फाटक होते हैं. प्रत्येक गेट का वजन 5 मिलियन पाउंड होता है और यह मानव चालित या स्वतः ही संचालित किया जा सकता है. गेटों को जलाशय के जल स्तर और बाढ़ की स्थिति के आधार पर उठाया या गिराया जाता है. यह गेट स्पिलवे में जल के प्रवेश को पूरी तरह से रोक पाने में असमर्थ होते हैं परन्तु वे जलाशय के जल स्तर को अतिरिक्त 16 फुट तक बनाये रखने में मदद करते हैं.

स्पिल्वेज़ के ऊपर से बहता पानी, निर्माण पथांतरण सुरंगों के साथ जुड़ने से पहले या तो 600 फ़ुट (180 मी) लंबे, या 50 फ़ुट (15 मी) चौड़े स्पिलवे सुरंगों में तेज़ी से गिरता है और बांध के नीचे के मुख्य नदी मार्ग में पुनः प्रवेश करता है. यह जटिल स्पिलवे प्रवेश व्यवस्था, जलाशय के ऊपर से नीचे नदी में अनुमानित 700 फ़ुट (210 मी) के शीर्ष गिराव के साथ मिलकर एक कठिन अभियांत्रिकी समस्या है और डिज़ाइन सम्बंधी कई चुनौतियों को खड़ा करता है. समग्र स्पिलवे क्षमता को 1941 के निर्माण परीक्षणों में आनुभविक तौर पर सत्यापित किया गया था. इस परीक्षण से यह भी पता चला कि ऊच्च वेग प्रवाह द्वारा बने गुहिकायन से स्पिलवे सुरंगों को क्षति पहुंच सकती है, जब वे करीब पूर्ण परिमाण में बहते हैं. आगे 1983 की गर्मियों में छः हफ्तों में हुए नुकसान के बाद, सुरंगों की परतों की मरम्मत की गई और स्पिलवे सुरंग के डिजाइन, को गुहिकायन की क्षमता को कम से कम करने के उद्देश्य परिवर्तित किया गया. फिर भी, प्रत्येक स्पिलवे सुरंग 2,00,000 घन फ़ुट/सेक (5,700 मी3/सेक) प्रवाह संभाल सकता है, जो निआग्रा फौल्स के प्रवाह के समान है.

सबसे बड़े स्पिलवे सुरंगों को बांध के इतिहास में केवल दो बार इस्तेमाल किया गया है. 1941 में परीक्षण के अलावा, इन स्पिल्वेज़ को 1983 में बाढ़ के कारण प्रयोग किया गया था. स्पिलवे गेटों का प्रयोग 1999 में, बांध के पीछे जल को रोकने के लिए किया गया, जो लेक मीएड जलविभाजक में भारी जल जमाव के कारण हुए जल स्तर में वृद्धि के कारण हुआ था.

Hoover Dam panoramic view from the Arizona side showing the penstock towers and the Nevada-side spillway entrance

पर्यावरणीय प्रभाव

हूवर बांध और उससे जुड़े जल के उपयोग में परिवर्तन का कोलोराडो नदी के मुख पर स्थित कोलोराडो रिवर डेल्टा पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा. बांध के निर्माण को नदी के मुहाने से संबंद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के पतन के युग की शुरुआत के रूप में अंकित किया गया. बांध के निर्माण के बाद और लेक मीएड के भर जाने पर, 1930 के दशक के उतरार्ध में छः साल के लिए, वस्तुतः पानी का कोई प्रवाह नदी के मुंह तक नहीं पहुंचा. डेल्टा के मुहाने को, जो पूर्व में कभी ताज़ेपानी-खारेपानी का एक मिश्रण क्षेत्र था और जो नदी के मुख से 65 किलोमीटर (40 मील) दक्षिण की ओर फैला हुआ था, एक व्युत्क्रम मुहाने में परिवर्तित कर दिया गया जहां नदी के मुख पर लवणता की मात्रा वास्तव में उच्च थी.

कोलोराडो नदी ने हूवर बांध के निर्माण से पूर्व प्राकृतिक बाढ़ का अनुभव किया था . बांध ने प्राकृतिक बाढ़ को समाप्त कर दिया, जिसके कारण बाढ़ के अनुसार अनुकूलित हो चुकी कई प्रजातियां, जिनमें पौधे और पशुएं दोनों शामिल है, खतरे में आ गए.

बांध के निर्माण ने, बांध से अनुप्रवाहित नदी में रहने वाली स्थानीय मछलीयों की जनसंख्या को भी बहुत कम कर दिया है. कोलोराडो नदी में रहने वाली मछलीयों की चार स्थानीय प्रजातियों को, U.S. फेडरल सरकार द्वारा वर्तमान में लुप्तप्रायः के रूप में सूचिबद्ध किया गया है, यह प्रजातियां है बोनिटेल चब, कोलोराडो पाइकमिनो, हम्पबैक चब और रेज़रबैक सकर.

सड़क परिवहन के लिए उपयोग

बांध के शीर्ष पर ऑटोमोबाइल यातायात के लिए दो लेनें हैं. यह कोलोराडो नदी से U.S. राजमार्ग रूट 93 के लिए क्रॉसिंग का काम करता है. बांध की ओर जाने वाली सड़क के दो-लेन खंड में कई ख़तरनाक हेयरपिन मोड़ हैं और फिसलने वाले चट्टानों का भी ख़तरा है.

और अधिक राजमार्गीय क्षमता और बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए, नए हूवर बांध बाईपास को 2010 तक पूरा करना निर्धारित किया गया है जो U.S. 93 के यातायात 1,500 फ़ुट (460 मी) को बांध के नीचे की ओर मोड़ देगा. बाईपास में इस्पात और कंक्रीट की एक मिश्रित चाप पुल शामिल होगी जिसका नाम अस्थायी तौर पर माइक ओ'कालाघं -पॅट टिलमन मेमोरियल ब्रिज रखा जायेगा. बाईपास पूरा हो जाने पर, हूवर बांध से चलते यातायात को बंद कर दिया जायेगा.

इसके अतिरिक्त, 11 सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमले के मद्देनज़र, सुरक्षा को लेकर गहन चिंताएं हैं. हमले की वजह से, हूवर बांध बाईपास परियोजना में तेज़ी लाइ गई. हूवर बांध के पार आवागमन वर्तमान में प्रतिबंधित है. बांध को पार करने के पूर्व कुछ प्रकार के वाहनों की जांच होती है जबकि कुछ वाहन जैसे, सेमी-ट्रेलर ट्रक, सामान ले जा रही बसें, 40 फ़ुट (12 मी) से अधिक लम्बी संलग्न-बॉक्स ट्रकों को बांध पर से गुजरने की अनुमति नही है. यातायात को मोड़ कर लौघ्लीन, नेवादा में कोलोराडो नदी के दक्षिण में स्थित एक पुल की ओर कर दिया गया है.

नामकरण विवाद

यह बांध, मूलतः बौल्डर कैनियन पर बनाए जाने के लिए योजना बद्ध किया गया था, परन्तु बेहतर अवरोध के लिए इसे ब्लैक कैनियन में पुनर्स्थापित किया गया, लेकिन इसका नाम अभी भी बौल्डर बांध परियोजना ही रखा गया. 1928 के बौल्डर कैनियन प्रोजेक्ट ऐक्ट ने (BCPA) बांध के लिए कोई नाम या शीर्षक का उल्लेख प्रस्तावित नहीं किया. BCPA सरकार को मात्र "...निर्माण करने, प्रचालन करने और बांध की देख रेख और कोलोराडो नदी पर स्थित ब्लैक कैनियन या बौल्डर कैनियन की मुख्य धरा में आकस्मिक कार्य..." करने की अनुमति देता है. 7 जुलाई 1930 में इस परियोजना पर काम शुरू हुआ.

17 सितंबर 1930 में, आधिकारिक रूप से काम शुरु होने के समय, राष्ट्रपति हूवर के आंतरिक मामलों के सचिव रे लीमन विल्बर, ने यह घोषणा की कि कोलोराडो नदी पर बन रहे नए बांध का नाम संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के सम्मान में हूवर बांध रखा जाएगा. विल्बर ने बांध का नाम तात्कालीन राष्ट्रपति के नाम पर रख कर, बांध के निर्माण के समय पदासीन राष्ट्रपतियों के नाम पर बांध का नामकरण करने की परम्परा का पालन किया, जैसे, दी थिओडोर रूजवेल्ट डैम, दी विल्सन डैम और दी कूलिज डैम. हालांकि, इन बांधों का नाम पदासीन राष्ट्रपति के नाम पर नहीं पड़ा, क्योंकि इनका निर्माण पूर्ण होने तक वे राष्ट्रपति पद छोड़ चुके थे. अधिक प्रभावशाली ढंग से, हूवर मंदी के बावजूद पहले से ही पुनर्निर्वाचन के लिए अभियान चला रहे थे और उन्होंने रोजगार सृजन करने के लिए श्रेय चाहा. 14 फ़रवरी 1931 के एक कोंगरेशियल अधिनियम के तहत "हूवर बांध" नाम को आधिकारिक बना दिया गया.

हालांकि, 1932 में, हरबर्ट हूवर फ्रेंकलिन डेलानो रूजवेल्ट के समक्ष अपने पुनः सत्तारूढ़ होने का प्रयास हार गये. अपने संस्मरण में, हूवर ने लिखा कि 12 नवम्बर 1932 की रात से उन्होंने बांध के निर्माण प्रगति का निरिक्षण करना छोड़ दिया, जब वे अपनी हार के पश्चात अपने पेलो अल्टो, कैलिफोर्निया के घर से वाशिंगटन लौट रहे थे. उन्होंने टिप्पणी की, "यह मेरे लिए असाधारण ख़ुशी की बात है कि जो महान सपना मैंने बहुत लंबे समय से देखा था वास्तविकता में पत्थर और सीमेंट का रूप ले रहा है. मुझे कोलोराडो रिवर कमीशन का अध्यक्ष बने हुए दस वर्ष बीत चुके हैं.... यह बांध, कभी भी मानव के हाथों द्वारा बनाया गया, इंजीनियरिंग का अपने तरह का सर्वश्रेष्ठ काम है." उन्होंने आगे उसके उद्देश्यों की सूची दी और समापन करते हुए कहा, "इसका निर्माण निर?

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युक्तियाँ और संकेत
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HISTORY
21 June 2012
Hoover Dam was built during the Great Depression, between 1931 and 1936. The project employed thousands of workers, cost more than 100 lives and gave rise to Boulder City.
Роберт Пискуле
All the best things of Las Vegas are away from the strip. You can drive over the Hoover dam and get to free parking on the Arizona side (saves $10). You can also walk on the bridge.
C-SPAN
27 June 2016
The dam was built during the Great Depression and provided flood control, crop irrigation, and hydroelectric power for the southwestern states, and many jobs. To learn more watch this C-SPAN video.
Katie Whalon
27 November 2018
Purchase a guided tour or pay for parking and explore on your own. I highly recommend going on the bridge. It's a beautiful view and a nice walk. Eat at The Coffee Cup on the way through Boulder City.
Mary Rodriguez
27 August 2018
This is an amazing sight to see and story to hear of how the Dam was built. I have new respect for the security they have-the Dam is very important to life to the Western states! Wonderful trip!
Sean Foley
3 September 2018
Incredible!! Amazing finally getting to see this place up close!! Definitely a place You have to see up close to actually be able to comprehend how Massive it is!!!
Hoover Dam Lodge

से तब तक $81

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