तिरिच मीर (ترچ میر, Tirich Mir) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में चित्राल शहर के पास स्थित एक पर्वत है, जो हिन्दु कुश पर्वत शृंखला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) ऊँचा यह पर्वत हिमालय-काराकोरम श्रेणी के बाहर का सबसे ऊँचा पहाड़ है और दुनिया भर का ३३वाँ सबसे ऊँचा शिखर है (बाक़ी ३२ हिमालय-काराकोरम में स्थित हैं)। चित्राल शहर से तिरिच मीर दिखता ही है लेकिन यह पहाड़ इतना विशाल है कि इसे पाकिस्तान की सरहद के पार अफ़्ग़ानिस्तान के कुछ सीमाई इलाक़ों से भी देखा जा सकता है।
'मीर' शब्द का मतलब 'राजा' या 'मालिक' होता है। 'तिरिच मीर' के पूरे नाम के बारे में दो धारणाएँ हैं। पहली यह है कि यह चित्राल की एक छोटी तिरिच नामक वादी के पास है, तो हो सकता है इसका मतलब 'तिरिच वादी का राजा' है। दूसरी सम्भावना है कि यह नाम वाख़ी भाषा से है जिसमें 'तिरिच' का मतलब 'छाँव' होता है, यानि पूरे नाम का मतलब 'छाँव का राजा' है। इस पर्वत की लम्बी परछाईयाँ वाख़ान के क्षेत्र पर पड़तीं हैं तो मुमकिन है यह नाम उस बात से आया हो।
तिरिच मीर के शिखर पर सबसे पहले सन् १९५० में नोर्वे से आया पर्वतारोहियों का एक दस्ता सफलतापूर्वक चढ़ा था। इसके आसपास के क्षेत्रों में यह लोक-धारणा है कि इस पहाड़ पर जिन्न-भूत, चुड़ैलें और पारियाँ रहतीं हैं जो चढ़ने वालों के लिए संकट बनाती हैं। वास्तव में भी हर साल यहाँ आये कुछ सैलानी इसकी ढलानों पर घूमते-चढ़ते मारे जाते हैं। अक्सर यह गहरी खाईयों में गिर जाते हैं और इनके शरीर नहीं मिलते।