सीकन सुरंग

होन्शु और होकाईडू द्वीपों को जोड़ती सीकन सुरंग। सीकन सुरंग (青函トンネル सीकन तोंनेरू या 青函隧道 सीकन ज़ुइदो ) ५३.८५ किमी लम्बी रेल सुरंग है जो जापान के होन्शू और होक्काइडो द्वीपों को आपस में जोड़ती है। कुल लम्बाई में से २३.३ किमी समु्द्र के नीचे से होकर जाता है। ये विश्व की सबसे बड़ी समुद्री सुरंग है, यद्यपि चैनल सुरंग का अधिक भाग समु्द्र के नीचे है। ये सुरंग त्सुगारू खाड़ी के नीचे से होकर जाती है जो जापान के होन्शू द्वीप के ओमोरी प्रांत को होक्काइडो द्वीप के जोड़ती है। यद्यपि ये संसार की सबसे लम्बी सड़क और रेल सुरंग है, लेकिन तीव्र और सस्ती हवाई यात्रा के कारण अब इसका उपयोग पहले से कम होता है। विश्व की सबसी लम्बी सुरंग होने का इसका रिकॉर्ड गोत्थार्ड सुरंग द्वारा ले लिया जायेगा जब ये २०१८ में बनकर तैयार हो जायेगी। गोत्थार्ड सुरंग भी एक रेल सुरंग है और सबसे गहरी रेल सुरंग भी।

इतिहास

दूसरे विश्व युद्ध में उपनिवेशों के खोने के कारण और वापस लौट रहे जापानियों को बसाने के लिए जापान के होन्शू और होक्काइडो द्वीपों को आपस में स्थापित मार्ग से जोड़ने पर विचार ताइशो काल (१९१२-१९२५) से किया जा रहा था, परन्तु सर्वेक्षण का काम १९४६ में ही आरम्भ हुआ। १९५४ में पांच नौकाएं जिसमे तोया मारू नौका भी थी, त्सुगारू खाड़ी को पार करते समय डूब गयी जिसमें १,४३० यात्री मारे गए। अगले वर्ष जापान राष्ट्रीय रेल द्वारा सुरंग अनुसंधान का काम तेजी से आरम्भ किया गया। दोनों द्वीपों के बीच बढ रहे यातायात के कारण भी इन्हें स्थाई मार्ग से जोड़ना आवश्यक था। तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्था के कारण जा रा रे (JNR) द्वारा संचालित सीकन फैरी से यात्रा करने वाले लोगो की संख्या ४०,४०,००० प्रति वर्ष पहुँच गयी और पोतभार में १.७ गुणा की वृद्धि होकर ६२,४०,००० टन प्रति वर्ष पहुँच गया। १९७१ में यातायात पूर्वानुमानों ने ये अनुमान लगाया की यात्रीओं और पोतभार में इतनी वृद्धि हो जायेगी की कंपनी द्वारा संचालित नौकाओं से उसकी पूर्ति नहीं हो पायेगी और भौगोलिक स्थितियों के चलते इनकी क्षमता एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती। सितम्बर १९७१ में सुरंग पर कार्य आरम्भ करने का निर्णय लिया गया। शिनकानसेन रेलों के मार्गो के विस्तार के लिए भी शिनकानसेन सक्षम अनुभाग को चुना गया।

कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में काम चलता रहा और निर्माण के दौरान ३४ श्रमिक मारे गए।

२७ जनवरी, १९८३ को जापान के प्रधानमंत्री द्वारा बटन दबाकर एक विस्फोट किया गया और जिससे आरंभिक सुरंग का काम पूरा हुआ। इसी प्रकार प्रतीकात्मक रूप से जापानी परिवहन मंत्री तोकुओ यामाशिता द्वारा १० मार्च, १९८५ को मुख्य सुरंग में खुदाई की गयी। योजना की सफलता पर तब प्रश्न चिन्ह लग गया जब ये अनुभव किया गया की १९७१ में हुए पूर्वानुमान अधिमुल्यांकित थे। १९८५ तक यातायात बढ़ने के स्थान पर यातायात में कमी ही हो रही थी। १९७८ में यातायात सर्वाधिक था और उसके बाद इसमें गिरावट देखी गयी जिसका कारण १९७३ के प्रथम तेल संकट के बाद जापान की अर्थव्यस्था में मंदी एक प्रमुख कारण था। अन्य कारणों में हवाई यातायात और लम्बी दूरी के समुद्री यातायात में उन्नति प्रमुख थे।

१३ मार्च, १९८८ को सुरंग खोल दी गयी। सुरंग की कुल लगत ५३८.५ अरब येन (५१.१८ रु) आई। सुरंग के पूरा होने पर होन्शू और होक्काइडो के बीच चलने वाला सारा रेल यातायात इसी सुरंग से होकर गुजरता था। परन्तु अन्य यातायात के रूप में ९०% लोग सस्ती और तीव्र होने के कारण हवाई यातायात का उपयोग करते है। जैसे, सपोरो और टोकियो के बीच की दुरी रेल से तय करने में लगभग १०.३० घंटे लगते है, जबकि उसी दुरी को हवाई मार्ग से ३.३० घंटो में पूरा किया जा सकता है जिसमें हवाई अड्डों पर लगने वाला समय भी सम्मिलित है।

सुरंग खुदाई एक साथ दोनों उत्तरी और दक्षिणी छोरों से आरम्भ की गयी। सुखी भूमि वाले भागों के लिए मुख्य सुरंग से होकर पारंपरिक पहाडों की खुदाई करने वाली तकनीकों का सहारा लिया गया। समुन्द्र के भीतर के २३.३ किमी वाले भाग के लिए बढ़ते व्यास वाले तीन सुराख़ किये गए: पहला आरंभिक सुरंग, दूसरा सहायक सुरंग, और तीसरा मुख्य सुरंग। सहायक सुरंग को मुख्य सुरंग के साथ शाफ्टो के एक श्रृंखला से जोड़ दिया गया जो ६०० से १,००० मीटर की दुरी पर लगायीं गयी थी। आरंभिक सुरंग ने ५ किमी लम्बी मध्य भाग वाली सुरंग के लिए सहायक सुरंग का काम किया।

सर्वेक्षण, निर्माण, और भूतत्त्व

सर्वेक्षण का काम १९४६ में आरम्भ हुआ और पच्चीस वर्ष बाद जाकर १९७१ में सुरंग पर कार्य आरम्भ हुआ। अगस्त १९८२ में लगभग ७०० मीटर खुदाई का कार्य शेष रह गया था और १९८३ में दोनों ओर संपर्क पूरा हुआ। त्सुगारू खाड़ी के दो भाग है पूर्वी और पश्चिमी, और दोनों लगभग २० किमी चौडे हैं। आरंभिक सर्वेक्षणों से ये पता चला की पूर्वी भाग २०० मीटर तक गहरा है और इसकी पृष्ठभूमि ज्वालामुखीय है, जबकि पश्चिमी भाग की अधिकतम गहराई १४० मीटर है और इसकी पृष्ठभूमि तलछटी पत्थरों से बनी है। सुरंग के लिए पश्चिमी भाग को चुना गया क्यूंकि ये खुदाई के लिए उपयुक्त था। समुद्र के नीचे का भूतत्व तृतीयक काल (Tertiary Period) के ज्वालामुखीय पत्थरों, पाइरोक्लास्टिक पत्थरों, और तल छटीय पत्थरों से बना है। ये क्षेत्र तीन परतों से बना है जिसका अर्थ है की सबसे नवीन पत्थर खाड़ी के मध्य में है और इसमें सबसे आखिर में खुदाई की जायेगी। पुरे क्षेत्र को मोटे तौर पर तीन भागो में बांटा जा सकता है, जिसमे होन्शु द्वीप की ओर ज्वालामुखीय पत्थरों वाली पृष्ठभूमि है, होकाईडू द्वीप की ओर तल छटीय पत्थरों वाली पृष्ठभूमि है, और मध्य में तृतीयक काल के बलुआ पत्थरों वाली पृष्ठभूमि है। आग्नेय घुसपैठ और भूतात्विक दोषों के कारण पत्थरों में टूटन हो जाती और सुरंग की खुदाई का काम बाधित होता। आरंभिक भूतात्विक सर्वेक्षण १९४६ से १९६३ तक चले और इस दौरान समुन्द्र तल की ड्रिलिंग, ध्वनि सर्वेक्षण, पनडुब्बी बोरिंग, पनडुब्बी द्वारा अवलोकन, भूकंप और चुंबकीय सर्वेक्षण इत्यादि किये गए। हालांकि समुन्द्रतल के बारे में और अधिक जानने के लिए दोनों सेवा और पायलट सुरंगों में क्षैतिजीय पायलट बोरिंग की गयी।

अनुरक्षण

मिकित्सुगु आइकुमा ने अपने २००२ के एक प्रतिवेदन में सुरंग के बारे में ये बताया की सुरंग सही अवस्था में है। यद्यपि समय के साथ-साथ इसमें से जाने वाले यातायात में कमी आ रही है, लेकिन किसी बड़े भूकंप के तुंरत बाद इसमें वृद्धि हो जाती है।

संरचना

सीकन सुरंग की संरचना। सीकन सुरंग संग्रहालय। अभी जुड़वां सुरंगों में छोटी लाइन की पटरियां बिछाई जा रहीं है, लेकिन होक्काइडो शिनकानसेन योजना के अंतर्गत बड़ी लाइन की पटरियां बिछाई जाएँगी जिससे सुरंग को शिनकानसेन संजाल से जोड़ दिया जायेगा जिससे शिनकानसेन ट्रेनें सुरंग से होकर हाकोदाते और अंततः सपोरो तक जा सके। सुरंग में ५२ किमी तक निरंतर झलित पटरियां है। सुरंग के भीतर दो स्टेशन हैं:- ताप्पी-काईतेई स्टेशन और योशियोका-काईतेई स्टेशन और इनका उपयोग आपातकालीन स्तिथि में निकास के लिए किया जाता है। आग, भूकंप, या किसी अन्य आपदा की स्थिति में दोनों दोनों स्टेशन एक सामान सुरक्षा प्रदान करते हैं। धुंए की निकासी के पंखे, टीवी कैमरों, आग की चेतावनी वाली प्रणालियों, और पानी की बौछार वाले नोज़लों से इन शाफ्टों की कार्य क्षमता में और वृद्धि होती है। पहले यहाँ दोनों स्टेशनों पर संग्रहालय थे जिनमें सुरंग के निर्माण और कार्य प्रणाली के बारे में जानकारी दी जाती थी पर अब केवल ताप्पी-काईतेई स्टेशन वाला संग्रहालय ही शेष है। योशिओका-काईतेई स्टेशन के संग्रहालय को १६ मार्च, २००६ को होक्काइडो शिनकानसेन की तयारी के लिए ध्वस्त कर दिया गया। ये दोनों ही स्टेशन समुन्द्र के नीचे बनाने वाले विश्व के पहले स्टेशन थे।

यह भी देखें

  • चैनल सुरंग

बाहरी कडियाँ

az:Seikan tuneli bg:Сейкан ca:Túnel de Seikan cs:Tunel Seikan da:Seikantunnelen de:Seikan-Tunnel en:Seikan Tunnel eo:Seikan-Tunelo es:Túnel Seikan fa:سیکان (تونل) fi:Seikan-tunneli fr:Tunnel du Seikan hu:Szeikan-alagút it:Tunnel Seikan ja:青函トンネル ko:세이칸 터널 ku:Tunela Seikan lv:Seikana tunelis ms:Terowong Seikan nl:Seikantunnel nn:Seikantunnelen no:Seikantunnelen pl:Tunel Seikan pt:Túnel Seikan ru:Тоннель Сэйкан simple:Seikan Tunnel sk:Seikan sv:Seikantunneln ta:செய்க்கான் சுரங்கம் th:อุโมงค์เซคัง uk:Сейканський тунель vi:Đường hầm Seikan zh:青函隧道

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युक्तियाँ और संकेत
द्वारा व्यवस्थित:
おーた('A`)
12 February 2013
2013/2/12来館。公式ホームページの冬期臨時開館についての情報が少ないので注意。営業時間は9:00〜16:00に短縮され、坑道へのケーブルカー運転、併設のレストラン紫陽花の営業もありません。
Minami U
23 March 2020
なかなか珍しい見学施設ですが冬季は閉鎖しています
Keiichi Fukuoka
18 March 2023
2008年6月28日(土) 外ヶ浜町 青函トンネル記念館 Saturday, June 28, 2008 Sotogahama Town, Seikan Tunnel Museum.
tanazou100 .
28 August 2017
世界に類を見ない巨大建造物の、一端と歴史を見れるよ❗
zeroro_P02A
20 October 2015
坑道見学できます。44分。
Tatsuro T
26 October 2013
開館期間は4月25日〜11月10日です。
Ryotei Kuki

से तब तक $0

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