लिन्लिथगो महल के अवशेष एडिनबरा के पश्चिम में 15 मील (24 किमी) पर पड़ने वाले लिन्लिथगो शहर, पश्चिम लोथियन, स्कॉटलैंड में स्थित हैं। पंद्रहवीं व सोलहवीं शताब्दी में यह महल स्कॉटलैंड के राजाओं व शासकों का मुख्य घर रहा है। १६०३ में स्कॉटलैंड के शासकों के इंग्लैंड चले जाने के बाद इसका रख -रखाव किया जाता रहा लेकिन रहने के लिये इसका इस्तेमाल बहुत कम हुआ और इसे १७४६ में जला दिया गया। अब यह स्कॉटलैंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसकी देखरेख हिस्टोरिक स्कॉटलैंड नामक संस्था करती है।
इस जगह पर बारहवीं सदी में एक शाही महल हुआ करता था। चौदहवीं शताब्दी में इसे अंग्रेज शासक एडवर्ड १ की सेना द्वारा एक किले नुमा घर में जिसे द पील कहा जाता था में बदल दिया गया। इस महल की स्थिति इसे एक आदर्श सैन्य ठिकाने के रूप में जगह देती थी जिससे एडिनबर्ग का किला व स्टर्लिंग किला के बीच सैन्य साजो सामान के आवागमन के रास्ते सुरक्षित हो गए थे। अंग्रेजी किले का निर्माण मार्च १३०२ में दो पादरियों रिचर्ड डे वाएनपोल और हेनरी डे ग्रॉंडेस्टन के संरक्षण में शुरू हुआ था। इसके वास्तुकार सेंट जॉर्ज़ के मास्टर जेम्स थे।सितम्बर 1302 में, ६० पुरुष व १४० महिलाओं ने इसकी नींव खोदी। पुरुषों को २ पेंस व महिलाओं को १ पेनी रोजाना की मजदूरी दी जाती थी। १०० पैदल सैनिक भी मजदूरों की तरह महल के निर्माण में लगे हुए थे और नवंबर से लेकर १३०३ की गर्मियों तक काम करते रहे।
1424 में, लिन्लिथगो शहर एक भीषण आग में कुछ हद तक नष्ट हो गया। राजा जेम्स १ ने स्कॉट राजाओं के रहने के लिए महल का पुनर्निमाण शुरू करवाया। साथ ही महल के दक्षिण के तरफ सेंट माइकल्स गिरिजाघर का निर्माण भी शुरू हुआ। पहले का गिरिजाघर एडवर्ड के शासनकाल में एक गोदाम की तरह उपयोग किया जाता था। आनेवाली शताब्दियों में महल एक बडे परिसर में बदल गया। जेम्स ५ जिनका जन्म महल में ही अप्रैल १५१२ में हुआ था ने बाहरी प्रवेशद्वार, रास्ते व बागीचे को और सुंदर बनावाया। प्रांगण में एक बडा झरना लगवाया। दक्षिण में पत्थर पर कि गई कारीगरी को जेम्स पंचम (स्कॉटलैंड) के लिये फिन्नर्ट के जेम्स हैमिल्टन जिनके पास महल के रखरखाव का जिम्मा था, के द्वारा पुनर्निमित किया गया। मैरी १ का जन्म इसी महल में दिसम्बर १५४२ में हुआ था। वह अपने शासन काल के दौरान यहाँ कभी कभार रही भी थीं। जेम्स ६ की बेटी बोहेमिया की एलिज़ाबेथ भी इस महल में रही थी।१६०३ में ताजों के विलय के बाद शाही दरबार मुख्यत: इंग्लैंड चला गया और लिन्लिथगो का इस्तेमाल बेहद कम हो गया। पुराना उत्तरी क्षेत्र ६ सितम्बर १६०७ को ध्वस्त हो गया जिसके बारे में लिन्लिथगो के अर्ल (सामंत) ने जेम्स १ को लिखा :Please your most Sacred Majestie; this sext of September, betuixt thre and four in the morning, the north quarter of your Majesties Palice of Linlithgw is fallin, rufe and all, within the wallis, to the ground; but the wallis ar standing yit, bot lukis everie moment when the inner wall sall fall and brek your Majesties fontane.राजा जेम्स ने इसे फिर से १६१८ और १६२२ के बीच बनवा दिया। नक्काशी शाही राजगीर विलियम वैलेस द्वारा की गई थी। जुलाई १६२० में वास्तुकला विशेषज्ञ जेम्स मर्रे ने अंदाज लगाया की शीशों के साथ लगभग ३००० पत्थर छत को ढकने में लगेंगे जिसमे £3600 का खर्च आएगा।
1648 में लिन्लिथगो के अर्ल द्वारा उत्तर के कुछ हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया गया। अक्टूबर १६४१२ में एक अंग्रेज पर्यटक ने एक कविता में लिखा है कि ग्रेट हाल की छत अब वैसी नहीं रही, प्रांगण का झरना भी उन लोगों द्वारा तोडा जा चुका है जिन्हें इस पर लिखे ध्येय वाक्य गॉड सेव द किंग यानि ईश्वर राजा की रक्षा करें से समस्या है। लेकिन फिर भी शाही प्रार्थनालय में लकडियों पर लिखावटें व नक्काशियाँ बची हुई हैं।
महल के अच्छे दिन फिर सितम्बर 1745 में आए जब बोनी राजकुमार चार्ली अपने दक्षिण प्रवास के दौरान लिन्लिथगो में रुके थे। कहा जाता है कि उनके सम्मान में झरने में पानी की बजाए वाइन बहाया गया था। कम्बरलैंड के ड्यूक की सेना ने जनवरी १७४६ में महल के अधिकांश हिस्से को जलाकर नष्ट कर दिया।
१९वीं सदी की शुरुआत से ही इस महल का रखरखाव तेजी से हुआ है और आज इसका रख रखाव व प्रबंधन ऐतिहासिक स्कॉटलैंड के द्वारा के द्वारा किया जाता है। यह जगह पर्यटकों के लिये पूरे वर्ष खुली रहती है। सामान्यता यहाँ घूमने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है लेकिन कुछ त्योहारी मौकों पर प्रवेश शुल्क माफ कर दिया जाता है। गर्मियों में महल के साथ में लगा हुआ पंद्रहवीं शताब्दी का प्राचीन सेंट माइकल्स गिरिजाघर, लिन्लिथगो भी श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। अगस्त २०१४ में यहाँ एक संगीत समारोह का आयोजन हुआ था जिसका नाम था 'पार्टी एट द पैलेस'।
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श्रेणी: पर्यटन स्थल श्रेणी: स्कॉटलैंड के महल